भोपाल: एमपी (Madhya Pradesh) गजब है और इसे गजब बनाने में प्रदेश के जिन शहरों का हाथ है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण नाम है भोपाल (Bhopal) का, एमपी की राजधानी. शहर के इतिहास में ऐसे कई हीरे हैं, जिसकी चमक ने देशभर को रौशन किया. ऐसा ही एक नाम है हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj Railway Station),  जिसे पूरे देश में पहचाना जाता है, जो अपने नाम कई रिकॉर्ड दर्ज करवा चुका है. इस समय इसके नाम बदने की मांग उठ रही है. ऐसे में पहले देखिए देश के पहले आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त स्टेशन का इतिहास. क्या क्या छुपा है इसके पन्नों में


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कब बना हबीबगंज रेलवे स्टेशन
ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट बनाने का कान्सेप्ट शुरू करने वाले हबीबगंज स्टेशन का निर्माण आजादी से पहले अंग्रेजों ने करवाया था. 1979 में इसका विस्तार हुआ था. 1901 में भारत की 42 रियासतों के स्वामित्व वाले रेलवे को जोड़कर इंडियन रेलवे बना. आजादी के समय की बात करें तो इस दौरान भारतीय रेलवे का 55 हजार किलोमीटर का नेटवर्क था. बाद में 1952 में इसे 6 जोन में डिवाइड किया गया. इसके बाद कई स्टेशन बनाए गए जिनमें हबीबगंज भी था. 


PM Kisan Nidhi: इस बार खाते में आएंगे 4000, मध्य प्रदेश में किसे होगा लाभ, किसे लौटानी होगी राशि, यहां जानें


हबीबगंज नाम का इतिहास
हबीबगंज का नाम भोपाल के नवाब हबीब मियां के नाम पर रखा गया था. पहले इसका नाम शाहपुर था. साल 1979 में रेलवे ने विस्तार करके नाम हबीबगंज रखा. उस समय एमपी नगर का नाम गंज हुआ करता था तब दोनों को जोड़कर हबीबगंज रखा गया था. हबीब मियां ने 1979 में स्टेशन के विस्तार के लिए अपनी जमीन दान में दी थी. इसके बाद इसका नाम हबीबगंज रखा गया. अरबी भाषा में हबीब का मतलब होता है प्यारा और सुंदर. ISO प्रमाण पत्र हासिल करने वाला वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज के आसपास की सुंदरता और आसपास की हरियाली और झीलों का चलते इसकी सुंदरता दोगुनी हो जाती है. 


वर्ल्ड क्लास बनने की कहानी
भारतीय इकोनॉमी में सुधार के साथ भारतीय रेलवे से जुड़े प्रोडक्शन देश में ही होना शुरू हुए. 1985 के बाद स्टीम इंजनों को हटाकर बिजली और डीजल लोकोमोटिव्स को लाने की शुरूआत हुई. इसके साथ रेलवे ट्रैक और स्टेशनों के डेवलपमेंट का काम भी चला. 2016 को भारतीय रेल और खासतौर पर हबीबगंज के लिए महत्वपूर्ण साल कहा जा सकता है. इस साल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)के तहत इंडियन रेलवे ने हबीबगंज स्टेशन के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रेक्ट किया. हबीबगंज स्टेशन के मॉडर्नाइजेशन का काम करीब 5 सालों तक चला और जुलाई 2021 में हबीबगंज स्टेशन का रूप पूरी तरह बदल गया.  यहां वर्ल्ड क्लास सुविधाएं देने के लिए करीब 100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. 


पीएम मोदी के भोपाल दौरे से पहले तेज हुई ये मांग, भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ने उठाई आवाज


बदले हुए हबीबगंज में अब क्या है खास
*हबीबगंज स्टेशन की सबसे खास बात है कि ये पूरा सौर ऊर्चा से चलेगा.  केंद्र सरकार ने रेल विभाग को निर्देश दिए थे, जिसके बाद सभी स्टेशनों को सौर ऊर्जा से लैस किया जा रहा है.
*रीडेवलपमेंट बाद हबीबगंज में सेफ्टी, सिक्योरिटी और अन्य सुविधाओं का जो मापदंड दिया है, वो देश में और किसी रेलवे स्टेशन में नहीं है.
*स्टेशन की एंट्री और एग्जिट को एकदम अलग रखा गया है.  
*स्टेशन को दिव्यांगों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है.  रैंप, लिफ्ट, टॉयलेट, पानी के नल, पार्किंग एरिया सभी को दिव्यांगों के हिसाब से बनाया गया है.
*रेलवे स्टेशन पर  1100 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है
*सुरक्षा के लिहाज से पूरे स्टेशन पर 162 हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए हैं. कंट्रोल रूम से पूरे स्टेशन के अंदर और बाहर नजर रखी जा सकती है. आग बुझाने के लिए सीएफसी से मुक्त एचवीएसी, अग्निशामक और सप्रेसन सिस्टम लगाया है.
*पूरे स्टेशन परिसर में LED लगे हैं, जो ट्रेन की आवाजाही की जानकारी देगा. 
*टिकट काउंटर को आधुनिक बनाया है, ताकि आराम से टिकट लिया जा सके. 
*स्टेशन पर यात्रियों के लिए रेस्टोरेंट, एसी रूम, एसी लाउंज और सुविधासंपन्न रिटायरिंग रूम बनाए हैं.


Watch Live Tv