भोजशाला मंदिर का सरस्वती सदन कैसे बनी दरगाह? यहां जानिए क्या है पूरा विवाद
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भोजशाला मंदिर का सरस्वती सदन कैसे बनी दरगाह? यहां जानिए क्या है पूरा विवाद

राजा भोज द्वारा स्थापित शहर की ऐतिहासिक धरोहर भोजशाला में मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित करने की मांग को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

भोजशाला मंदिर का सरस्वती सदन कैसे बनी दरगाह? यहां जानिए क्या है पूरा विवाद

धार: राजा भोज द्वारा स्थापित शहर की ऐतिहासिक धरोहर भोजशाला में मां वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित करने की मांग को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका को कोर्ट ने मंजूर करते हुए केंद्र, राज्य, पुरातत्व सहित जिला प्रशासन व भोजशाला से जुड़ी सभी समितियों को नोटिस जारी किए है, ताकि इस मामले में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की जा सके. बता दें कि नवंबर से इस याचिका को सबमिट करने के लिए प्रयास किए जा रहे थे, बुधवार को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की तरफ से इस याचिका को दायर किया गया है.

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बता दें कि संस्था की राष्ट्रीय संयोजक रंजना दीदी, प्रदेश संयोजक आशीष जनक की तरफ से संस्था के वरिष्ठ एडवोकेट हरिशंकर जैन विष्णुशंकर जैन द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया था. संस्था के प्रदेश संयोजक आशीष जनक ने बताया कि काफी मेहनत और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आवेदन प्रस्तुत किया गया है. ताकि कोर्ट के जरीए हल निकाला जा सके. हमने मांग की है कि हमारी विरासत को हमें सौंप दिया जाए.

संस्था ने यह रखी है मांग
धार की ऐतिहासिक भोजशाला को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि मां सरस्वती की प्रतिमा पुन: स्थापित की जाए. स्थान की पूरी वीडियोग्राफी व कलर फोटोग्राफी की जाए. साथ ही खुदाई करवाई जाए ताकि भोजशाला से जुड़े कई प्रमाण सामने आ सके. संस्था के आशीष जनक ने बताया इसे लेकर नवंबर से प्रयास किए जा रहे थे. जो कि बुधवार को सबमिट हो पाई है.

इसलिए है विवाद
वर्तमान में भोजशाला संरक्षित धरोहर होकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है. हिंदू समुदाय प्रति मंगलवार यहां हनुमान चालिसा का पाठ कर पूजन करता है. जबकि मुस्लिम समुदाय को शुक्रवार के दिन दोपहर 1 से 3 बजे तक नमाज की अनुमति रहती है. हर साल भोज उत्सव समिति द्वारा बसंत पंचमी पर मां वाग्देवी सरस्वती जन्मोत्सव भोजशाला में सूर्योदय से सूर्यास्त तक धूमधाम से मनाया जाता है. इस बीच बसंत पंचमी और शुक्रवार एक ही दिन आने पर विवाद की स्थिति बनती है और इसीलिए यह मामला विवादित है.

भोजशाला का अबतक का इतिहास
भोजशाला विवाद वर्ष 1034 में मूर्ति स्थापना से अब तक

● धार शासक परमार वंश के राजा भोज ने वर्ष 1034 में सरस्वती सदन और वाग्देवी मूर्ति की स्थापना की थी. तब वहां महाविद्यालय संचालित होता था.

● वर्ष 1456 में मेहमूद खिलजी ने सरस्वती सदन में मौलाना कमालुद्दीन का मकबरा और दरगाह बनाई.

● वर्ष 1857 में सरस्वती सदन की खुदाई में वाग्देवी की मूर्ति मिली.

● वर्ष 1880 में भोपावर पॉलिटिकल एजेंट मेजर किनकेड इस मूर्ति को लंदन ले गया. तब से मूर्ति वहीं है। इस मूर्ति की प्रतिकृति भोजशाला में है.

● वर्ष 1909 में धार रियासत ने एन्शिएंट मोन्यूमेंट एक्ट लागू करते हुए भोजशाला परिसर को संरक्षित स्मारक घोषित किया था. आजादी के बाद ये पुरातत्व विभाग के अधीन हो गया.

● वर्ष 1935 में धार रियासत के दीवान ने भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताते हुए शुक्रवार की नमाज पढ़ने की अनुमति दी.

● भोजशाला में सरस्वती जन्मोत्सव की शुरुआत वर्ष 1952 में केशरीमल सेनापति, प्रेमप्रकाश खत्री, बसंतराव प्रधान, ताराचंद अग्रवाल ने की।

● 4 फरवरी 1991 से प्रति मंगलवार सत्याग्रह शुरू किया गया. यह सत्याग्रह भोजशाला की मुक्ति के नाम पर भोजशाला उत्सव समिति ने शुरू किया था.

● सत्याग्रह में हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता था.

● वर्ष 1995 में भोजशाला में विवाद हुआ. इसके बाद मंगलवार को यहां पूजा करने और शुक्रवार को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई.

● 12 मई 1997 को धार कलेक्टर ने भोजशाला में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन सत्याग्रह जारी रहा. बैरिकेड्स के बाहर से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता रहा.

● 6 फरवरी 1998 को पुरातत्व विभाग ने भी यहां आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी.

● बाद में भोजशाला में शुक्रवार को दोपहर 1 से 3 बजे तक नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई.

● वर्ष 2003 में मंगलवार को बगैर फूलमालाओं के पूजन की अनुमति दी.

● 6 फरवरी 2003 को बसंत पंचमी के दिन नमाज को लेकर भोजशाला में विवाद हुआ. इससे तनाव बढ़ा और 18 फरवरी 2003 को धार में दंगे हुए.

● इस हिंसा के बाद केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी सरकार ने 3 सांसद शिवराज सिंह चौहान, एएसएस आहलूवालिया और बलवीर पुंज की कमेटी से जांच करवाई.

● 8 अप्रैल 2003 में अंदर जाकर प्रति मंगलवार हनुमान चालीसा का पाठ करने की इजाजत मिली.

● 3 फरवरी 2006 को भी शुक्रवार और बसंत पंचमी एक साथ आए थे, जिसके बाद विवाद की स्थिति बन गई थी. उस समय हवन बंद करवाकर प्रशासन ने 13 लोगों से नमाज पढ़वाई. इसमें धार के तत्कालीन प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से लोगों ने विरोध किया था.

● 12 फरवरी 2016 को बसंत पंचमी और शुक्रवारएक ही दिन होने पर विवाद की स्थिति बनी. पूजन और नमाज को लेकर दोनों पक्ष अड़ गए, जिसके कारण धार सहित आसपास के जिलों में हाई अलर्ट रहा.

● 12 फरवरी 2016 को पुलिस ने बसंत पंचमी पर दर्शन करने पहुंचे लोगों को दोपहर में जबरदस्ती बाहर निकाल दिया था. इस दौरान लाठीचार्ज हुआ. बाद में पुलिस सुरक्षा में 25 लोगों को पुलिस वाहन में लाकर नमाज पढ़वाई गई. यह मामला भी काफी विवादित रहा.

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