भोजशाला विवादः बीजेपी विधायक बोले- "हमारे देवालय दे दो, तभी एकता कायम होगी"
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भोजशाला विवादः बीजेपी विधायक बोले- "हमारे देवालय दे दो, तभी एकता कायम होगी"

भाजपा विधायक ने दावा किया कि मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा भोजशाला को मस्जिद में बदला गया. भोजशाला हिंदुओं की है और यह हिंदुओं को मिलनी चाहिए.

भोजशाला विवादः बीजेपी विधायक बोले- "हमारे देवालय दे दो, तभी एकता कायम होगी"

प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश में जारी भोजशाला विवाद पर अब सियासत भी शुरू हो गई है. दरअसल इस विवाद पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने दावा किया है कि भोजशाला हिंदुओं की है और यह हिंदुओं को मिलनी चाहिए. भाजपा विधायक ने ये भी कहा कि हिंदुओं को उनके देवालय मिलने चाहिए, देश में तभी एकता स्थापित हो सकती है. 

क्या बोले भाजपा विधायक
भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि "मेरी तथाकथित एकता की ढिंढोरा पीटने वाले लोगों से मांग है कि देश में शांति तब होगी, जब भोजशाला में पूजन और घंटी बजेगी, तभी एकता आएगी." भाजपा विधायक ने कहा कि "एकता चाहते हो तो हिंदुओं के देवालय हिंदुओं को दे दो, हिंदुओं ने मुस्लिमों को कभी नमाज के लिए मना नहीं किया, इसलिए हमारे देवालय दे दें, तभी एकता हो सकती है." 

भाजपा विधायक ने दावा किया कि मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा भोजशाला को मस्जिद में बदला गया. भोजशाला हिंदुओं की है और यह हिंदुओं को मिलनी चाहिए. हमें कोर्ट से न्याय की उम्मीद है. सरस्वती देवी का स्थान मिलने से उनकी उपासना कर रहे लोगों और बलिदानी आत्माओं को सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी. 

कांग्रेस बोली- मुद्दों से भटकाने का प्रयास
वहीं भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा के बयान पर कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी शर्मा ने कहा कि प्रदेश की जनता महंगाई से परेशान है, अघोषित बिजली कटौती, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर बात करने की बजाय भाजपा मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है और भोजशाला जैसे विवाद लेकर आ रही है.

क्या है भोजशाला विवाद
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने एमपी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर धार जिले में स्थित भोजशाला में नमाज पर रोक लगाने की मांग की है. अभी भोजशाला में मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा और शु्क्रवार के दिन नमाज होती है. हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है. याचिका में कहा गया है कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर था, जिसकी मूर्ति ब्रिटिश सरकार अपने साथ ले गई थी. याचिका में भोजशाला में दूसरे समुदाय की एंट्री पर बैन लगाने की मांग की गई है. 

भोजशाला के इतिहास की बात करें तो परमार वंश के राजा भोज ने करीब सन् 1034 में ज्ञानदेवी मंदिर के तौर पर इसे बनवाया था.यहां मां सरस्वती की पूजा होती थी. बाद में साल 1594 में खिलजी शासन के दौरान इस भोजशाला को मस्जिद में बदल दिया गया. यही वजह है कि यहां हनुमान चालीसा और नमाज दोनों की अनुमति है. 

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