Education Excellence Conclave 2024: 1 जून को भोपाल में होगा एजुकेशन कॉन्क्लेव, कई हस्तियां होंगी शामिल
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Education Excellence Conclave 2024: 1 जून को भोपाल में होगा एजुकेशन कॉन्क्लेव, कई हस्तियां होंगी शामिल

Education Excellence Conclave 2024: ZEE मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ की ओर से भोपाल में एजुकेशन एक्सीलेंस कॉन्क्लेव 2024 का आयोजन किया जा रहा है. इस कॉन्क्लेव में शिक्षा जगत की कई बड़ी हस्तियां शामिल होंगी. इस दौरान एजुकेशन से जुड़े वर्तमान मुद्दों पर चर्चा होगी. 

Education Excellence Conclave 2024: 1 जून को भोपाल में होगा एजुकेशन कॉन्क्लेव, कई हस्तियां होंगी शामिल

Education Excellence Conclave 2024: ZEE मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ की ओर से 1 जून को भोपाल के जहांनुमा पैलेस में एजुकेशन एक्सीलेंस कॉन्क्लेव 2024 (Education Excellence Conclave 2024) का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार होंगे. कार्यक्रम में शिक्षा जगत की हस्तियों को कई कैटेगरी में सम्मानित किया जाएगा. कॉन्क्लेव में शिक्षा जगत के कई विशेषज्ञ और वक्ता मंच से अपनी बात रखेंगे. 

कॉन्क्लेव में बिलासपुर अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. एडीएन वाजपेयी, HEG एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मनीष गुलाटी, IIT इंदौर के डायरेक्टर सुहास जोशी, IIIT भोपाल के डायरेक्टर आशुतोष कुमार सिंह, इंदौर IIM के डायरेक्टर हिमांशु राय, मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के डायरेक्टर करुनेश शुक्ला, एक्टर और राइटर रंजीत कपूर और सामाजिक उद्यमी एवं शिक्षाविद डॉ संतोष चौबे जैसी हस्तियां वक्ता के रूप में शामिल होंगे.

कॉन्क्लेव का उद्देश्य
एजुकेशन एक्सीलेंस कॉन्क्लेव 2024 के पीछे का उद्देश्य ज्ञान का आदान-प्रदान, नेटवर्किंग, व्यावसायिक विकास, पॉलिसी एडवोकेसी, नवाचार को बढ़ावा देना,  समस्या को सुलझाना और इंस्पिरेशन एंड मोटिवेशन को बढ़ावा देना है.

इन कैटेगरी में दिया जाएगा अवॉर्ड
कॉन्क्लेव में एजुकेशन की तमाम कैटेगरी में हस्तियों को सम्मानित किया जाएगा. इसमें इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, पैरा मेडिकल, मास कम्युनिकेशन, बिजनेस, एडमिनिस्ट्रेशन, फार्मेसी, आर्ट और कोचिंग को शामिल किया गया है.

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

- निजी संस्थान अपना रहे हैं फ्रेंचाइजी मॉडल
- अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों का उदय
- टेक्नोलॉजी का बढ़ता उपयोग
- मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों की संख्या में वृद्धि
- व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में नामांकन दर काफी कम है
- प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर लड़कों की तुलना में लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर में बढ़ोतरी

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