कांग्रेस का आरोप- पंचायत चुनाव का आरक्षण खत्म होने के पीछे भाजपा, RSS! बताया कैसे
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कांग्रेस का आरोप- पंचायत चुनाव का आरक्षण खत्म होने के पीछे भाजपा, RSS! बताया कैसे

मध्यप्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए दिए गए आरक्षण को समाप्त करके चुनाव कराने का निर्देश दिया है. इस पर कांग्रेस का कहना है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एक बार फिर अदालत में अपना ओबीसी विरोधी चेहरा पेश किया है.

कांग्रेस का आरोप- पंचायत चुनाव का आरक्षण खत्म होने के पीछे भाजपा, RSS! बताया कैसे

भोपाल: मध्यप्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए दिए गए आरक्षण को समाप्त करके चुनाव कराने का निर्देश दिया है. इस पर कांग्रेस का कहना है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एक बार फिर अदालत में अपना ओबीसी विरोधी चेहरा पेश किया है. कांग्रेस ने कहा कि अगर मध्य प्रदेश सरकार जोरदार तरीके से माननीय न्यायालय में ओबीसी वर्ग का पक्ष रखती तो आरक्षण समाप्त होने की नौबत नहीं आती.

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कांग्रेसी विधायक और पूर्व पंचायती राज मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि इस फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को गहरा धक्का पहुंचा है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की सोच हमेशा से आरक्षण को समाप्त करने की रही है. इसीलिए जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया गया और मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में गया. अगर शिवराज सरकार माननीय उच्चतम न्यायालय में सही ढंग से पैरवी करती तो इस तरह का फैसला नहीं आता. पटेल ने कहा कि अपने षड्यंत्र और गलतियों और अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी चरित्र को छुपाने के लिए बीजेपी कांग्रेस पार्टी पर झूठे इल्जाम लगा रही है.

पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट में या माननीय उच्च न्यायालय में नहीं गई थी. इस बात को कांग्रेस पार्टी ने 6 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में स्पष्ट शब्दों में सार्वजनिक कर दिया था. संबंधित पक्षकार निजी हैसियत में माननीय अदालत में गए थे. कांग्रेस पार्टी ने ग्राम पंचायत चुनाव की प्रक्रिया के असंवैधानिक पक्षों का विरोध किया था और उन्हें सार्वजनिक किया था. लेकिन कांग्रेस ने चुनाव का विरोध नहीं किया था.

पटेल ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय में पक्षकारों ने रोटेशन प्रणाली पर सवाल उठाया था जो कि ओबीसी आरक्षण से भिन्न विषय है. जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण खत्म करने का फैसला सुनाया तो यह मध्य प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह आरक्षण के समर्थन में उचित तर्क माननीय न्यायालय में पेश करती. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार का रवैया ओबीसी विरोधी है. नौकरियों में आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में भी सरकार की ओर से वकील पेश नहीं हुए और मामले की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए टल गई. इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में भी ओबीसी आरक्षण के बारे में पक्ष नहीं रखा गया और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण समाप्त कर दिया.

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उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में ऐसी असंवैधानिक गलतियां छोड़ दी थी जिनसे ओबीसी के हित प्रभावित हों. भाजपा सरकार को तत्काल इस मामले में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए ताकि ओबीसी वर्ग के लोगों को पंचायत में उनका हक मिल सके. उन्होंने कहा कि माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ओबीसी के अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहेगी. माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने नौकरियों में भी ओबीसी को आरक्षण दिया था. जिस की लड़ाई कांग्रेस पार्टी अदालत में लड़ रही है. पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए कांग्रेस पार्टी हर तरह के आंदोलन और न्यायिक विकल्प के लिए तैयार है.

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