भारत की बात करें तो हमारे देश में जैविक खेती का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में भारत में जैविक खेती का बाजार 849 मिलियन डॉलर था, जो कि साल 2026 तक बढ़कर 2601 मिलियन डॉलर होने की उम्मीद है.
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आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश सरकार राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने की योजना बना रही है. इसके तहत मार्च में जैविक खेती (Organic Farming) करने वाले किसानों का सम्मेलन होगा. साथ ही सरकार सिंघाड़ा की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने पर भी विचार कर रही है. जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों से सुझाव मांगे जाएंगे, ताकि समस्याओं को दूर कर ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सके.
सरकार की योजना है कि उद्यानिकी के विस्तार के लिए जिला स्तर पर जिला बागवानी सलाहकार समितियां गठित की जाएंगी. किसान इस समितियों के सदस्य होंगे. उद्यानिकी फसलों को आवारा मवेशियों और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेत की तारफेंसिंग के लिए भी सरकार अनुदान देगी. उद्यानिकी विभाग की बैठक में यह फैसला लिया गया है.
क्या है जैविक खेती
बता दें कि बढ़ती आबादी ने खेती पर भी दबाव डाला है और सभी को भोजन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. ऐसे में किसानों ने ज्यादा पैदावार के लिए खेती में रसायन और अजैविक पदार्थों का इस्तेमाल शुरू कर दिया लेकिन अब बीतते वक्त के साथ इन रसायनों के इस्तेमाल के नुकसान हम सभी के सामने आ रहे हैं. इससे ना सिर्फ नई-नई बीमारियां फैल रही हैं बल्कि मिट्टी की क्षमता भी खराब हो रही है.
ऐसे में कई किसान फिर से प्राकृतिक खेती की तरफ लौट रहे हैं और रसायनिक यूरिया आदि से दूरी बना रहे हैं. इससे ना सिर्फ मिट्टी, पानी की सेहत ठीक रहती है ब्लकि प्रदूषण भी नहीं फैलता. यही वजह है कि सरकार भी किसानों के जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
तेजी से बढ़ रहा जैविक खेती का बाजार
भारत की बात करें तो हमारे देश में जैविक खेती का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में भारत में जैविक खेती का बाजार 849 मिलियन डॉलर था, जो कि साल 2026 तक बढ़कर 2601 मिलियन डॉलर होने की उम्मीद है. मतलब लोग तेजी से जैविक उत्पादों के इस्तेमाल की तरफ जा रहे हैं, जिसके चलते जैविक खेती के उत्पादों की भी भारी मांग है. ऐसे में जैविक खेती की तरफ जाना किसानों के लिए भी फायदे का सौदा साबित हो सकता है. साथ ही किसानों की लागत भी कम होगी.