FIR Information: क्या आप देख सकते हैं दूसरे की FIR? आपको पता होनी चाहिए ये जानकारी
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FIR Information: क्या आप देख सकते हैं दूसरे की FIR? आपको पता होनी चाहिए ये जानकारी

FIR information available under RTI: एक रोचक मामला राज्य सूचना आयोग के सामने आया है. पुलिस ने अभियोजन और जांच प्रभावित होने के आधार पर FIR की जानकारी नहीं दी. शिकायत आने पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने FIR को पब्लिक डॉक्यूमेंट मानते हुए आयोग स्तर पर मामले में जांच शुरू कर दी है.

FIR Information: क्या आप देख सकते हैं दूसरे की FIR? आपको पता होनी चाहिए ये जानकारी

FIR information available under RTI: बालाघाट। देश में RTI को लेकर कई लोगों में कंफ्यूजन है. वहीं कई बार कंफ्यूजन न होने के बाद भी सरकारी अधिकारी कानूनों का पाठ पढ़ाकर जानकारी देने से इंकार कर देते हैं. हाल ही में बालाघाट से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां पुलिस विभाग और SP ने RTI के तहत जानकारी देने से इनकार कर दिया. मामला सूचना आयोग के पास पहुंचा तो आयोग ने FIR को पब्लिक डॉक्यूमेंट मानकर पुलिस के तर्कों की जांच शुरू कर दी है.

प्रथम अपील में नहीं मिली जानकारी
दरअसल बालाघाट की रहने वाली RTI कार्यकर्ता लीला बघेल ने थाना लालबर्रा में दर्ज एफआइआर (FIR) की जानकारी 13/12/2021 को मांगी थी. टीआई अमित भावसार ने आधी अधूरी जानकारी दी. इसके बाद एसपी के पास प्रथम अपील दायर की गई. उन्होंने भी FIR को RTI की धारा 8 (1) (j)  के तहत व्यक्तिगत जानकारी माना और धारा 8 (1) (h) के तहत जांच या अभियोजन प्रभावित होने की आशंका पर जानकारी नहीं दी.

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राज्य सूचना आयोग में लगाई गई अपील
जानकारी नहीं मिलने पर लीला बघेल ने सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की. अपनी अपील में उन्होंने कहा कि टीआई और एसपी के द्वारा गलत आधार बनाकर FIR की जानकारी देने से मना किया गया है. उन्होंने इसके लिए तर्क दिया कि अन्य थानों से भी FIR की जानकारी मांगी गई थी, जहां से उन्होंने चाही गई जानकारी मिली. इससे स्पष्ट है कि जानकारी दिया जा सकती है.

FIR है पब्लिक डॉक्यूमेंट
मामले की सुनावई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने स्पष्ट किया है कि एफआईआर CRPC की धारा 154 के तहत पब्लिक डॉक्यूमेंट है और एविडेंस एक्ट 1872 की धारा 74 के तहत भी इसे पब्लिक दस्तावेज माना गया है. मामले में पुलिस द्वारा FIR की जानकारी को गलत ढंग से रोकने के आरोप के चलते आयोग ने सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है.

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आयोग ने यह भी माना कि  एफआईआर की कॉपी ऑनलाइन होने से भी पब्लिक की पहुंच में है. उन्होंने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में FIR की कॉपी को 24 घन्टे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए थे. इसमें महिला और बच्चों के विरुद्ध यौन अपराध और राजद्रोह के मामलों को छूट दी गई थी.

आयोग ने शरू की जांच
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कहना है कि सिर्फ अभियोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाएगी यह दावा करने मात्र से जानकारी को नहीं रोका जा सकता है. पुलिस विभाग को आयोग के समक्ष साक्ष्य के साथ स्पष्ट करना होगा कि कौन सी जानकारी के सामने आने से अभियोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो जाएगी. आयुक्त ने ये भी देखा कि RTI लगाने के समय 6 FIR  को दर्ज हुए डेढ़ महीने का समय हो चुका था. ऐसे में कौन सी जांच प्रभावित होगी यह जांच का विषय है.

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