मुस्लिम धर्म अपनाने से कैसे बचा पाकिस्तान में सिंधी समाज? जानिए चालिया महोत्सव की मान्यता
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मुस्लिम धर्म अपनाने से कैसे बचा पाकिस्तान में सिंधी समाज? जानिए चालिया महोत्सव की मान्यता

history of Chaliha Mahotsav: चालिया महोत्सव सिंधी समाज का सबसे बड़ा पर्व है. इस महोत्सव का समापन बैतूल में विशेष पूजा-अर्चना और लोक संगीत-भजन के साथ हुआ. माना जाता है कि झूलेलाल ने सिंधी समाज को इस्लामी धर्मांतरण से बचाया था.

Significance of Chaliya Festival

Significance of Chaliya Festival: चालिया महोत्सव सिंधी समाज में सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन दिनों भगवान झूलेलाल ने वरुण देव का अवतार लिया था और इस अवतार में उन्होंने अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर किया था. पिछले 16 जुलाई से शुरू हुआ चालिया महोत्सव का आज बैतूल में सिंधी समाज द्वारा विभिन्न आयोजनों के साथ समापन किया गया. चालिया महोत्सव सिंधी समाज का सबसे बड़ा पर्व है, जैसे भारत में सभी समाजों के अपने-अपने त्योहार होते हैं. चालिया महोत्सव के दौरान सिंधी समाज के लोग मंदिरों में झूलेलाल की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. मंदिरों में विशेष लोक संगीत-भजन और भक्ति गीतों के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

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चालिया महोत्सव की पौराणिक मान्यता
बता दें कि भगवान झूलेलाल को बहराना साहिब के नाम से भी जाना जाता है. चालिया साहिब की मान्यता है कि सिंध प्रांत के तात्कालिक मिरक शाह बादशाह ने जब सबको इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा था, तब सिंधी समाज के लोगों ने पाकिस्तान में सिंधु नदी पर अपने इष्ट वरुण देव की 40 दिनों तक पूजा-अर्चना की थी, जिसके बाद झूलेलाल साईं का जन्म हुआ और उन्होंने सभी सिंधियों को बचाया था.

चालिया महोत्सव की परंपरा और महत्व
बता दें कि उसी तरह से आज भी सभी सिंधी समाज के लोग चालीस दिन व्रत रखते हैं. अपने जीवन में वैराग्य लाते हैं. सांसारिक चीजों से परहेज करते हैं. रोज झूलेलाल भगवान से जाने-अनजाने में हुई गलतियों की माफी मांगते हैं. आरती करते हैं और अखा दरिया शाह में अर्पण करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस तरह चालीस दिन व्रत रखने से और पूजा-अर्चना करने से झूलेलाल भगवान प्रसन्न होते हैं. चालीस दिन का व्रत पूरा करने के बाद मटकी लेते हैं और अगले दिन पलव में अपने जीवन में खुशहाली की कामना करते हैं.

रिपोर्ट: रूपेश कुमार (बैतूल)

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