Holi 2023: बुंदेलखंड के इस गांव में नहीं जलती होली! होलिका दहन का जिक्र आते ही डर जाते हैं लोग
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1597377

Holi 2023: बुंदेलखंड के इस गांव में नहीं जलती होली! होलिका दहन का जिक्र आते ही डर जाते हैं लोग

Holi of Sagar Hathkhoh village: आज हम आपको बुंदेलखंड के एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे. जहां पर कई दशकों से होली नहीं जलाई गई है और होलिका दहन का नाम सुनते ही वहां के ग्रामीण से सहम जाते हैं.

Holi 2023

अतुल अग्रवाल/सागर: हिंदुस्तान के लगभग हर हिस्से में होली (Holi 2023) का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, मगर बुंदेलखंड के सागर जिले की देवरी तहसील का हथखोह एक ऐसा गांव है. जहां होली का जिक्र आते ही लोग डर जाते हैं. यहां के लोग होलिका का दहन ही नहीं करते हैं. इस गांव में होलिका दहन को लेकर न तो कोई उत्साह दिखता है और न ही किसी तरह की उमंग नजर आती है. देवरी विकासखंड के हथखोह गांव में होली की रात आम रातों की तरह ही रहती है. इस गांव में होली नहीं जलाने के पीछे एक किवदंती है कि दशकों पहले गांव में होलिका दहन के दौरान कई झोपड़ियों में आग लग गई थी. तब गांव के लोगों ने झारखंडन देवी की आराधना की और आग बुझ गई. 

कई दशकों से नहीं हुआ होलिका दहन
बता दें कि स्थानीय लोगों का मानना है कि यह आग झारखंडन देवी की कृपा से बुझी थी. लिहाजा होलिका का दहन नहीं किया जाना चाहिए. यही कारण है  कि कई पीढ़ियों से हथखोह गांव में होलिका दहन नहीं होता है. गांव के बुजुर्गों की मानें तो उनके सफेद बाल पड़ गए हैं. मगर उन्होंने गांव में कभी होलिका दहन होते नहीं देखा. उनका कहना है कि यहां के लेागों को इस बात का डर है कि होली जलाने से झारखंडन देवी कहीं नाराज न हो जाएं. उनका कहना है कि इस गांव में होलिका दहन भले नहीं ही होता है, लेकिन हम लोग रंग गुलाल लगाकर होली का त्यौहार मनाते हैं.

इसलिए नहीं होता है होलिका दहन
झारखंडन माता मंदिर के पुजारी के मुताबिक हथखोह गांव के लोगों के बीच इस बात की चर्चा है कि देवी ने साक्षात दर्शन दिए थे और लोगों से होली न जलाने को कहा था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. दशकों पहले यहां होली जलाई गई थी तो कई मकान जल गए थे और लोगों ने जब झारखंडन देवी की आराधना की, तब आग बुझी थी. यहां पर दूर-दूर से लोग आते हैं और लोग जिस भी प्रकार की मनोकामना मांगते है. उनकी वह मनोकामना पूरी होती है. झारखंडन माता यहां के ग्रामीणों की कुलदेवी भी मानी जाती है.

Trending news