ओबीसी आरक्षण पर दाखिल की गई याचिका पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन आज कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया.
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भोपालः मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर घमासान मचा हुआ है. आज शिवराज सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर लगाई याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन आज सुनवाई टल गई है. अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए नई तारीख तय की है, साथ ही यह भी बताया गया है कि अब ओबीसी आरक्षण को लेकर दाखिल की गई सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी.
17 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
दरअसल, ओबीसी आरक्षण पर दाखिल की गई याचिका पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन आज कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. अब अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी, खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट अब ओबीसी आरक्षण पर दाखिल की गई सभी याचिकाओं को क्लब करके सुनवाई करेगा. बता दें कि शिवराज सरकार सहित कई अन्य लोगों ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की है.
शिवराज सरकार ने दायर की थी याचिका
मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर शिवराज सरकार ने भी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर याचिका दायर की है, जिसमें पंचायत चुनाव पर फिलहाल चार महीने तक स्थगित करने की डिमांड की गई है. इस याचिका पर सरकार का पक्ष वकील हरीश साल्वे रखेंगे, जिनसे पिछले दिनों सीएम शिवराज ने मुलाकात की भी की थी.
ओबीसी आरक्षण पर फंसा है पेंच
दरअसल, मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण की वजह से ही रद्द हुए हैं. एमपी में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 फीसदी से अधिक है. जाहिर है इतने बड़े वर्ग को कोई भी दल नाराज करना नहीं चाहता. मौजूदा स्थिति में देशभर में आरक्षण का प्रावधान 50 फीसद है जो कि एससी, एसटी, और ओबीसी वर्ग को मिलाकर है. बाकी की 50 फीसदी जनरल वर्ग के लोगों के लिए है. अगर मध्यप्रदेश के लिहाज से बात करें तो एमपी में 16 प्रतिशत एससी वर्ग के लिए, 14 फीसद ओबीसी वर्ग के लिए और एसटी वर्ग के लिए 20 फीसद आरक्षित है. जो कि संविधान के दायरे में आता है.
मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग की बड़ी आबादी को देखते हुए 27 फीसद आरक्षण की मांग होती रही है. कमलनाथ सरकार ने इसके लिए कदम भी उठाया लेकिन कानूनी दांव पेंच में वो असफल रहा. अब शिवराज सरकार की कोशिश है कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसद आरक्षण मिलें लेकिन अगर ऐसा होता है तो 50 फीसद कुल आरक्षण के प्रावधान का उल्लंघन होगा. यही वजह है कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर पेंच फंसा हुआ है. खास बात यह है कि दोनों ही दल ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने का समर्थन कर रहे हैं.
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