LIC Fraud: एलआईसी में जमा पूंजी पर भी अब सेंधमारों की नजर पड़ गई है. कुछ लोगों ने फर्जी अकाउंट में एलआईसी के एक खातेदार का अमाउंट ट्रांसफर करवा लिया और जिसकी पॉलिसी मैच्योर हुई थी, वह अब एलआईसी दफ्तर में अपने ही पैसे के लिए धक्के खा रहा है. हैरानी की बात है कि दफ्तर से अकांउट से रिलेटेड दस्तावेज भी गायब हो गए हैं.
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मनोज गोस्वामी/दतिया: भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय से जीवन बीमा के पॉलसी धारक की तीन पॉलिसी का भुगतान नौगांव एचडीएफसी बैंक में फर्जी खाते में किया गया. इस घटना की जानकारी पॉलिसी धारक आयुष तिवारी पुत्र अवधेश कुमार तिवारी निवासी पीतांबरा पुरी को उस वक्त लगी जब वह अपनी मैच्योर पॉलिसियों को लेकर जीवन बीमा कार्यालय भुगतान के लिए पहुंचा.जीवन बीमा कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि उनकी पॉलिसियों का भुगतान एचडीएफसी बैंक नौगांव में आयुष तिवारी के नाम के खाते में किया गया. यह भुगतान 12, 18 और 21 जनवरी को किया गया.
फर्जी तरीके से हो गया भुगतान
पॉलिसी धारक के पास ओरिजिनल पॉलिसी उनके हाथ में ही रह गई और उनका भुगतान फर्जी ढंग से हो गया. उक्त मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम के मैनेजर सुदीप पालीवाल से चर्चा की गई तो उन्होंने पॉलसी भुगतान के नियम में बताया कि सबसे पहले वेरीफाई डाक्यूमेंट्स जिसमें पॉलिसी धारक की पॉलिसी सर्टिफाईड बैंक अकाउंट और जिस व्यक्ति द्वारा पॉलिसी की गई उसकी सहमति लगती है. जब इस बारे में उन से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया जीवन बीमा कार्यालय से इन पॉलिसियों का भुगतान होने के बाद कागजात भी लापता हो गए हैं. उक्त मामले में कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
पॉलिसी के बदले रकम देने का ये है नियम
उक्त मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम के डेवलपमेंट ऑफिसर अजय कुमार शर्मा से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि बिना ऑरिजिनल पॉलिसी के भुगतान हो ही नहीं सकता. यदि पॉलिसी धारक की पॉलिसी गिर जाती है तो सबसे पहले भारतीय जीवन बीमा निगम में डुप्लीकेट पॉलिसी के लिए पत्र लिखा जाता है. जब डुप्लीकेट पॉलिसी निकलती है, उसके बाद भारतीय जीवन बीमा निगम के मैनेजर सहमति प्रदान करते हैं. साथ ही पॉलिसी पर एजेंट का कोड भी संलग्न किया जाता है.
एक दूसरे को ठहरा रहे दोषी
मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि 3 महीने से लगातार पॉलिसी धारक आयुष तिवारी और उनके पिता अवधेश कुमार तिवारी ऑरिजिनल पॉलिसी लेकर भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय एचडीएफसी बैंक नौगांव को दोषी ठहरा रहा है तो वही पॉलिसी धारक भारतीय जीवन बीमा निगम से वह कागजात मांग रहा है, जिन कागजातों पर भुगतान हुआ.
पुलिस जांच में होगा फर्जीवाड़े का खुलासा
आपको बता दें कि वर्तमान में यह कागजात भारतीय जीवन बीमा निगम से लापता हो चुके हैं और पॉलिसी धारक भारतीय जीवन बीमा निगम के चक्कर पर चक्कर लगा रहा है. फिलहाल 4 अगस्त को भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय ने ऑरिजिनल पॉलिसी जमा कर ली है. उक्त मामले में सिर्फ पीड़ित को दिलासा मिली है लेकिन इस फर्जी कांड में कौन-कौन संलिप्त है, इसका खुलासा तब हो सकेगा, जब पुलिस जांच होगी.
परेशान हो रहा पॉलिसी धारक
भारतीय जीवन बीमा निगम के मैनेजर सुधीर पालीवाल पुलिस कार्रवाई के लिए 3 दिन में शिकायत करने की बात कह रहे हैं. भारतीय जीवन बीमा निगम लोगों के जीवन सुरक्षा की बात करती है लेकिन अब इसमें भी सेंध लग चुकी है. अब बीमा कराने के बाद भी पॉलिसी धारकों को चौकन्ना रहना पड़ सकता है.