MP Election: रीवा विधानसभा सीट प्रदेश की सबसे ज्यादा चर्चित सीटों में से एक है. खास बात यह है कि इस सीट पर 1998 के चुनाव के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई है.
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Rewa Seat Analysis: विंध्य का एक अहम हिस्सा रीवा विधानसभा सीट प्रदेश की सबसे ज्यादा चर्चित सीटों में से एक है.साल 2018 में जिले की सभी आठों सीट पर BJP ने कब्जा किया. इस सीट पर 1998 के चुनाव के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई है. यहां कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर रहती है. हालांकि कुछ समय पहले आए निकाय चुनाव के नतीजे के बाद समीकरण बदलने के आसार नजर आ रहे हैं.क्योंकि हाल में हुए महापौर के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की.
वोटर्स के आंकड़े और जातिगत समीकरण
रीवा विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो 2018 चुनाव के मुताबिक रीवा में 59 प्रतिशत सामान्य मतदाता है, जिनमें 10 प्रतिशत राजपूत, 38 प्रतिशत ब्राम्हण, 11 प्रतिशत अन्य, 10 प्रतिशत ओबीसी, 11 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 6 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति हैं. मतदाताओं की बात करें तो रीवा में कुल 204334 वोटर्स हैं, जिसमें 96299 महिला और 108028 के करीब पुरुष वोटर्स हैं.
रीवा विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
रीवा जिले की विधानसभा सीटें विंध्य क्षेत्र की महत्वपूर्ण सीटें मानी जाती है.रीवा बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. 2003, 2008, 2013 और 2018 के चुनाव में भाजपा ने हर बार जीत हासिल की. पिछले 2 बार से बीजेपी के जनार्दन मिश्रा यहां से लोकसभा सांसद है. खास बात यह है कि इस सीट पर 1998 के चुनाव के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई है. 1990 के चुनाव में कांग्रेस के महाराजा पुष्पराज सिंह ने जीत हासिल की थी. साल 2018 में जिले की सभी सीट पर BJP ने कब्जा किया. रीवा सीट पर BJP प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ला ने कांग्रेस के अभय मिश्रा को कड़ी टक्कर देते हुए 18089 वोट से जीत हासिल की.
अब तक कौन-कौन जीता