मध्य प्रदेश में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो अपने रहस्यों के लिए बेहद चर्चित हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ रहस्यमयी पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी खासियत जानकर आप भी कहेंगे एमपी अजब है गजब है...
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नई दिल्लीः मध्य प्रदेश को इसकी विविधता के कारण लघु भारत भी कहा जाता है. यही विविधता एमपी के पर्यटन स्थलों में भी है. यहां ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक सभी तरह के पर्यटन स्थलों की भरमार है. एमपी में कुछ पर्यटन स्थल और ऐतिहासिक धरोहर ऐसी भी हैं, जिनका इतिहास बेहद रोचक है. ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे ही रहस्यमयी पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
ककनमठ मंदिर
ककनमठ मंदिर का इतिहास करीब 1000 साल पुराना है. यह मंदिर भी मुरैना जिले के सिहोनिया में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश के राजा कीर्तिराज ने अपनी रानी ककनावती के लिए कराया था. ककनमठ मंदिर की खास बात ये है कि इसमें कहीं भी चूने-गारे का उपयोग नहीं किया गया है और सिर्फ पत्थरों को संतुलित करके इसे बनाया गया है. इस मंदिर को लेकर ये भी माना जाता है कि इसे भूतों ने एक रात में बनाया था.इस मंदिर में शाम के बाद रुकने की अनुमति नहीं है.
मितावली और पडावली
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पडावली के पास मितावली नामक गांव की एक पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है, जिसे भारत के चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर की खासियत ये है कि इसका डिजाइन भारत के संसद भवन से मेल खाता है. कहा जाता है कि अंग्रेज आर्किटेक्ट ने इस मंदिर के डिजाइन को देखकर ही संसद भवन का डिजाइन बनाया था. इस मंदिर का निर्माण गुर्जर राजा देवपाल गुर्जर ने कराया था. प्राचीन समय में यह मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित की शिक्षा का केंद्र था. तंत्र विद्या के लिए यह मंदिर खूब प्रसिद्ध है.
बटेश्वर मंदिर
मुरैना जिले के पडावली नामक जगह पर बटेश्वर मंदिर स्थित हैं. पुराने समय में यह करीब 200 मंदिरों का समूह था और गुर्जर प्रतिहार राजवंश द्वारा इनका निर्माण कराया गया था. आज ये मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. ये मंदिर भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित हैं और वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना हैं. एक ही जगह पर इतने मंदिरों का होना आज भी एक रहस्य और जिज्ञासा का विषय है.
मांडू
मांडू, होशंगाबाद या नर्मदापुरम जिले में स्थित एक पर्यटन स्थल है. यहां का बाज बहादुर महल, दाई महल और रानी रूपमति महल के साथ ही हिंडोला महल काफी चर्चित है. मांडू अपनी वास्तुकला के लिए बेहद प्रसिद्ध है. यहां की जल संरचनाएं आज भी रिसर्च का विषय हैं. 600 साल पहले भी यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग होती थी. साथ ही यहां के भुंज तालाब और कपूर तालाब का अंडर ग्राउंड कनेक्शन है. यहां रहट विधि से पानी महल में बने स्वीमिंग पूल में जाता था. पुराने समय में मांडू में 700 जल स्त्रोत थे.
भीमबैठका की गुफाएं
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका की गुफाओं को लेकर मान्यता है कि यहां भीम बैठते थे और आराम करते थे. इसलिए इन गुफाओं को भीमबैठका कहा जाता है. यहां करीब 700 गुफाएं हैं और यहां आदिमानव काल के बनाए गए शैलचित्र काफी प्रसिद्ध हैं. इन चित्रों को पुरापाषाण काल से लेकर मध्य पाषाण काल का माना जाता है. यहां मिले शैलचित्रों में एलियंस की तस्वीरें भी बनी हुई हैं. जो बताती हैं कि हजारों साल पहले एलियंस शायद धरती पर आए थे. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने 1990 में भीमबैठका को राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया और 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. कार्बन डेटिंग से पता चला है कि भीमबैठका की गुफाओं में बने कुछ चित्र तो 25 हजार साल पुराने हैं.
पांडव गुफाएंः मध्य प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में पांडव गुफाएं मौजूद हैं. माना जाता है कि वनवास के दौरान पांडव इन्हीं गुफाओं में ठहरे थे. खास बात ये है कि एक बड़ी सी चट्टान को खोदकर यहां पांच गुफाएं बनाई गई हैं.