Vidisha Bija Mandal Mandir: मध्य प्रदेश के विदिशा जिला स्थित बीजा मंडल मंदिर है या मस्जिद इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है. साल में एक बार यहां नाग पंचमी पर होने वाली पूजा के लिए अनुमति मांगने पर ASI ने इसे मस्जिद बताया है. जानें पूरा मामला-
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Vidisha Bija Mandal Mandir or Mosque Controversy: मध्य प्रदेश की धार भोजशाला का विवाद अभी सुलझा भी नहीं था कि विदिशा में बीजा मंडल का मामला उलझ गया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नई संसद के डिजाइन से मिलते-जुलते बीजामंडल मंदिर को मस्जिद बताया है, जबकि कई सालों से नागपंचमी के मौके हिंदू धर्म के लोग साल में एक बार यहां पूजा करते आ रहे हैं. ASI द्वारा जारी पत्र के बाद इसे लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है.
क्या है बीजा मंडल मंदिर या मस्जिद विवाद?
MP के विदिशा जिला स्थित बीजा मंडल मंदिर में हर साल नाग पंचमी के मौके पर हिंदू धर्म के लोग पूजा करते हैं. साल में एक बार होने वाली ये पूजा मंदिर के बाहर काफी सालों से होती आ रही है. इस बार नाग पंचमी के मौके पर हिंदू संगठन में मंदिर के अंदर पूजा के लिए अनुमति मांगी थी. इस पर ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने पत्र जारी करते हुए कहा कि बीजा मंडल मंदिर नहीं बल्कि मस्जिद है.
कलेक्टर ने पूजा की अनुमति से किया इंकार
ASI की ओर से बीजा मंडल को मस्जिद बताए जाने के बाद कलेक्टर ने मंदिर के अंदर पूजा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है. कलेक्टर ने पुरात्व विभाग का हवाला देते हुए मस्जिद बताया और SP को निर्देश दिया है कि अगर कोई भी पूजा करने आए तो कार्रवाई की जाए.
कलेक्टर ने SP को लिखा पत्र
इस संबंध में जिला कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा- 'ध्रुव चतुर्वेदी एवं अन्य विदिशा के युवा एवं हिन्दू श्रद्धालु विदिशा द्वारा 09 अगस्त 2024 (नागपंचमी के दिन) नगर विदिशा में स्थिति बीजा मंडल में पूजा-अर्चना की अनुमति दिए जाने के संबंध में ज्ञापन प्रस्तुत किया गया है. ज्ञापन की प्रति संलग्न है. उपरोक्त के संबंध में अधीक्षण पुरातत्वविद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भोपाल द्वारा अवगत कराया गया है कि बीजा मंडल मस्जिद एक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है तथा यहां कोई धार्मिक आयोजन नहीं किए जाते हैं. यह नॉन लिविंग स्मारक है, जहां पर किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना वर्जित है. यही नहीं प्राचीन स्मारक एंव पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष नियम 1959 के 8 (एफ) के तहत स्मारक पर कोई नई परिपाटी का आयोजन आरंभ किया जाना नियम विरूद्ध है तथा प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 के 30(1) के तहत यह दण्डनीय है, जिसके तहत दो वर्ष का कारावास अथवा एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों दंड दिया जा सकता है. विभाग द्वारा किसी भी व्यक्ति, संस्था एवं समुदाय को उक्त स्मारक पर इस प्रकार के नये आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती है. अतः उक्त संबंध में 09 अगस्त 2024 नागपंचमी के अवसर पर पुलिस बल तैनात कर कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु संबंधित को निर्देशित करने का कष्ट करें.'
11वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
जानकारी के मुताबिक बीजा मंडल परिसर में लगे ASI के बोर्ड में ये लिखा हुआ है कि यह विजय मंदिर है, विजया देवी का मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण परमार शासक ने 11 वीं शताब्दी में कराया था, जिसे 1682 में औरंगजेब ने खंडित कर उस पर मस्जिद बनवा दिया था.
नई संसद से मिलता-जुलता
बता दें कि बीजा मंडल मंदिर की डिजाइन नई संसद से मिलती-जुलती है. वहीं, अब इस मंदिर को मस्जिद बताए जाने पर हिंदू संगठन आक्रोशित हो गए हैं. उनका आरोप है कि प्रशासन और पुरातत्व विभाग जबरन मंदिर को मस्जिद बताकर मामले को तूल दे रहे हैं.