पंचायत चुनाव कराने को लेकर शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई थी. शीर्ष कोर्ट ने दो टूक कहा था कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण मामले में आग से न खेले. आधे घंटे तक चली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया को री-नोटिफाइड करने के आदेश दिए थे.
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भोपाल: मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसे देखते हुए मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरक्षण प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है. शुक्रवार की शाम चुनाव आयोग ने यह जानकारी साझा की है. 18 दिसंबर यानि कि शनिवार को प्रदेश की 52 जिला पंचायतों के अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया की जानी थी जिसे एक दिन पहले स्थगित कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया कब की जाएगी इसे लेकर अभी कोई जानकारी राज्य चुनाव आयोग ने नहीं दी है. बता दें शिवराज सरकार ने साल 2019 की जगह 2014 की आरक्षण व्यवस्था के मुताबिक चुनाव कराने का फैसला लिया गया है, जिसपर ऐतराज जताते हुए याचिकाकर्ताओं ने रिट पिटीशन दायर की थी. इसमें परिसीमन और आरक्षण पहले की तरह लागू करने की मांग की गई है.
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पंचायत चुनाव कराने को लेकर शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई थी. शीर्ष कोर्ट ने दो टूक कहा था कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण मामले में आग से न खेले. आधे घंटे तक चली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया को री-नोटिफाइड करने के आदेश दिए थे. उन्होंने कहा था कि अगर चुनाव संविधान के हिसाब से हो रहे हैं तो उसे जारी रखें और अगर संविधान के खिलाफ हैं तो चुनाव रद्द करें. इसका निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग को खुद करना है. याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव संविधान के हिसाब से हो तो ही कराइए. मध्यप्रदेश में आरक्षण रोटेशन का पालन नहीं किया गया यह संविधान की धारा 243C और D का साफ उल्लंघन है. हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत आदेश आना बाकी है.
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