Reservation: देश में दलित समुदाय द्वारा धर्म परिवर्तन (Religion Conversion) करने की खबरें आती रहती हैं. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि धर्म परिवर्तन करने वाले दलितों को क्या आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए या नहीं? बता दें कि अब इस मामले में केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाया है.
Trending Photos
नई दिल्लीः मुस्लिम-ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ मिलेगा या नहीं? इसकी जांच शुरू हो गई है. बता दें कि केंद्र सरकार ने पूर्व चीफ जस्टिस बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है. जो ईसाई या मुस्लिम धर्म अपनाने वाले दलितों की स्थिति की जांच करेगा और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगा. यह आयोग धर्म परिवर्तन करने वाले दलितों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति की जांच करेगा. साथ ही यह आयोग इस बात की भी जांच करेगा कि धर्म परिवर्तन करने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ देने से आरक्षण व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? आयोग धर्म परिवर्तन करने वाले दलितों की संख्या का भी पता लगाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं याचिकाएं
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण का लाभ देते रहने की मांग की गई है. याचिकाओं में अनुसूचित जाति की परिभाषा पर फिर से विचार करने की भी मांग भी की गई है. साथ ही हिंदू,सिख और बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों के लोगों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग की गई है. दलित ईसाइयों की राष्ट्रीय परिषद एनसीडीसी ने भी दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी एक याचिका पर सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और 31 अगस्त 2022 तक सरकार से अपना रुख बताने को कहा था.
Air Force Day: भारत के वो बड़े विमान हादसे, जिनमें सेना के अधिकारियों और नेताओं की हुई मौत
क्या कहता है भारतीय संविधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार, अनुसूचित जाति का दर्जा केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म का पालन करने वाले लोगों को दिया जा सकता है. मूल आदेश में सिर्फ हिंदुओं को एससी के रूप में रेखांकित किया गया था लेकिन 1956 में इसमें सिखों और 1990 में बौद्धों को भी अनुसूचित जाति में वर्गीकृत किया गया.
कांग्रेस सरकार में भी उठी थी मांग
साल 2004 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार में भी पूर्व सीजेआई रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया था. इस आयोग ने 2007 में अपनी रिपोर्ट में दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की अनुशंसा की थी. हालांकि सरकार ने इसे खारिज कर दिया था. 2007 में ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी एक अध्ययन कर दलित ईसाइयों और दलित मुसलमानों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग की गी थी. हालांकि इस रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया गया था.
तुरंत पासवर्ड बदलने की फेसबुक ने दी चेतावनी, 10 लाख यूजर्स का डेटा हैक
2 साल में रिपोर्ट देगा आयोग
अभी आरक्षण के तहत दलितों को केंद्र सरकार की नौकरियों में सीधी भर्ती में 15 फीसदी, एसटी को 7.5 फीसदी और ओबीसी को 27 फीसदी रिजर्वेशन दिया जाता है. केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग में पूर्व सीजेआई केजी बालकृष्णन के अलावा सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. रवींद्र कुमार जैन और यूजीसी की सदस्य डॉ. सुषमा यादव भी शामिल हैं. आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा और इसे 2 साल के भीतर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी.