Muthulakshmi Reddy Birth Anniversary : भारत की पहली महिला विधायक मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी, इन बातों के लिए की जाती हैं याद
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Muthulakshmi Reddy Birth Anniversary : भारत की पहली महिला विधायक मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी, इन बातों के लिए की जाती हैं याद

जयंती विशेष ( Muthulakshmi Reddy Birth Anniversary Special ) 30 जुलाई 2022 को देश की ऐसी महिला की 137वीं जयंती है, जिन्होंने कुप्रथाओं के साथ ताउम्र संघर्ष किया और देश में महिलाओं को लेकर कई सुधार करवाए. इतना ही नहीं वो देश की पहली महिला विधायक भी बनी.

Muthulakshmi Reddy Birth Anniversary : भारत की पहली महिला विधायक मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी, इन बातों के लिए की जाती हैं याद

निधि सोलंकी/नई दिल्ली: देश की पहली महिला विधायक और डॉक्टर मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी की आज 137वीं जयंती है. रेड्डी को देश में कई पहल करने वाली महिला भी कही जाती हैं. वह भारत देश की पहली हाउस सर्जन भी बनी थी. महिलाओं के अधिकारों के लिए ताउम्र संघर्ष करने वाली पहली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने लड़कों के स्कूल में दाखिला लिया था. आज उनकी जन्म जयंती के रोज देश उन्हें याद कर रहा है.

1886 से 1968 तक रहा सफर
मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी का जन्म 30 जुलाई 1886 को तमिलनाडु के पुडुकोट्टई में हुआ था. उनके पिता नारायण स्वामी अय्यर महाराजा कॉलेज में प्रोफेसर थे और उनकी मां चंद्रामाई देवदासी समुदाय से थीं. मैट्रिक तक उनके पिता और कुछ शिक्षकों ने उन्हें घर पर ही पढ़ाया और वो परीक्षा में टॉपर भी रहीं. साल 1968 में 81 वर्ष की आयु में डॉक्टर रेड्डी  ने आखिरी सांस ली.

बाल विवाह का किया था विरोध
जिस दौर में मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी बड़ी हो रही थीं, उस समय बाल विवाह का चलन आम था, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया और शादी के लिए तय उम्र को बढ़ाने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने बच्चियों के साथ होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ भी आवाज बुलंद की.

कैंसर इंस्टिट्यूट की शुरुआत की
मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी की छोटी बहन की मौत कैंसर से होने के बाद उन्हें गहरा सदमा लगा, जिसके बाद उन्होंने 1954 में अड्यार कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना की. उन्हें 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. आज के समय में यह दुनिया के सबसे बड़े कैंसर अस्पतालों में से एक है, जहां हर साल हज़ारों कैंसर मरीज़ों होता है.

देवदासी प्रथा के खिलाफ कानून
देवदासी प्रथा को खत्म करने के लिए मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी ने कट्टर समूहों से विरोध का सामना करा. मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी की इस प्रथा को खत्म करने के लिए मद्रास विधान परिषद ने सर्वसम्मति से समर्थन दिया और केंद्र सरकार से इसकी सिफारिश भी की. मुत्तुलक्ष्मी ने मद्रास विधान परिषद के समक्ष प्रस्ताव पेश करते हुए कहा था कि देवदासी प्रथा सती का सबसे खराब रूप है और ये एक धार्मिक अपराध है, जिसको जड़ से खत्म करना चाहिए.

कई महत्वपूर्ण कानूनों को लाने में योगदान
मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी ने मंदिरों से देवदासी प्रथा, बाल विवाह रोकथाम कानून और महिलाओं और बच्चों की तस्करी रोकने के लिए कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साथ ही विवाह के लिए लड़कियों की सहमति की उम्र को बढ़ाकर 14 करने वाले विधेयक को लेकर आई. उन्होंने कुप्रथाओं  को लेकर कहा था कि इन्हें जड़ से खत्म कर देना चाहिए.

ये कहना गलत नहीं होगा कि  डॉक्टर मुत्तुलक्ष्मी एक हिम्मती और निडर महिला थीं, जहां आज भी महिलाओं को पढ़ने के लिए रोका जाता है. वह पहली ऐसी महिला बनीं जिन्होंने लड़कों के साथ अपनी पढ़ाई की-आज डॉक्टर मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी की जयंती पर पूरा देश उनके योगदान को  याद कर रहा है.

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