रवि के फसल की कटाई के बाद अब आप धान की खेती करने के लिए जून माह में आने वाले मानसून का इंतजार कर रहे होंगे. आज हम आपको धान के जैविक खेती के बारे में ऐसी विधि बता रहे हैं, जिससे आप धान की बुवाई कम लागत में करेंगे और पैदावार में भी वृद्धि होगी. आइए जानते हैं कैसे करें धान की खेती ?
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शुभम शांडिल्य/नई दिल्लीः (कृषि) रवि की फसल की कटाई लगभग समाप्त हो गई है, इसलिए इस समय आपके खेत खाली होंगे. जिस पर आप अब खरीफ की फसल की (तिल, धान) बुवाई करने का प्लान बना रहे होगें. ऐसे में हम आज आपको धान के जैविक खेती करने के बारे में बताने जा रहे हैं, अगर आप इस विधि से खेती करेंगे तो लागत भी कम आएगी और उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी. साथ ही इस खेती से सबसे बड़ा लाभ है कि इससे पैदा होने वाले फसल को खाने से हमारा पाचंन तंत्र मजबूत होता है. आइए जानते हैं किस विधि से करें धान की जैविक खेती जिससे कम लागत में अच्छी पैदावार होगी.
पुशओं के गोबर से धान की जैविक खेती
इस समय करीब सब खेत खाली हो गए होंगे जिसमें आप धान की बुवाई करेंगे. अगर आप धान की खेती रोपा विधि से करना चाहते हैं, तो धान की जैविक खेती और अच्छी पैदावार के लिए चाहिए की आप उस खेत की एक बार जुताई कराकर चारों तरफ से मजबूत मेड़बंदी करा दें. इसके बाद आप इसमें आप पशुओं के गोबर को भरपूर मात्रा में यानी एक एकड़ खेत में कम से कम 40 से 50 कुंटल डालकर मिलवा दें. इसके बाद खेत को पानी से भर कर छोड़ दें. अब आप अपनी समयानुसार धान के नर्सरी को तैयार कर लें. और उस खेत को जिसमें धान की रोपाई करनी है, उसकी जुताई करने के पश्चात् उसे फिर से पानी से भरकर गीले खेत में टैक्ट्रर या बैल से विधिवत जुताई कराएं और इसमें धान के पौधों की रोपाई करा दें. पौधों पर कीड़ मकोड़े से बचाव के लिए समय-समय पर राख का छिड़काव करते रहें, इस विधि से खेती करने पर लागत भी कम आती है और फसल की पैदावार भी अच्छी होती है.
हरी खाद से धान की खेती
धान की अच्छी पैदावार के लिए मई महीने में आप अपने खेत की जुताई रवि की फसल के अवशेष को बिना जलाएं करा दें, खेत के चारों तरफ से ऊंची मेड़बंदी करा दें. अब इसे आप पानी से भर कर छोड़ दें. इसके 7 से 8 दिन बाद आप इसमें ढैंचा/सनई की बुवाई करा दें, और खेत को तब तक के लिए छोड़ दें (करीब 30 से 35 दिन) जब तक आप धान की नर्सरी नहीं तैयार कर लेते हैं. धान की रोपाई के एक सप्ताह पहले आप ढैंचा/सनई वाले खेत को पानी से भर दें और उसकी गीली जुताई कराकर इसमें प्रति एकड़ 30 किलों यूरिया खाद की छिड़काव करा दें. अब आप इस खेत को रोपाई के लिए तैयार कर धान के पौधों की रोपाई करा दें. इस विधि से धान की पैदावार भी अच्छी होती है और धान के साथ उगने वाले खरपतवार भी नहीं उगते हैं.
छींटा विधि से धान की खेती
आज कल समय की अभाव और मजदूरों की कमी की वजह से ज्यादात्तर किसान छींटा विधि से धान की खेती कर रहें हैं, इस विधि से धान की जैविक खेती के लिए आप पशुओं के गोबर या मुर्गियों के खाद को मई महीने में ही खेत में मिलाकर उसमें पानी चलाकर छोड़ दें. अब आप जून महीने में मानसून आने के पहले ही खेत की जुताई कराकर दो से तीन दिन के लिए छोड़ दें, उसके पश्चात खेत की सिंचाई करके उसे एक सप्ताह सुखने के लिए छोड़ दें. अब आप इसमें धान के बीज की बुवाई करा दें. धान की बुवाई के 20 दिनों के बाद खेत को एक बार फिर पानी से भर कर फसल के ऊपर से बैल से हल्की जुताई (हेगांवन) करा दें, ध्यान रहें कि फसल के जड़ पर कोई प्रभाव न पड़े. ऐसा करने से धान के पौधों का विकास तेजी से होता है, और फसल की पैदावार क्षमता भी बढ़ती है.
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