MP पंचायत चुनाव की फिल्मी कहानी: जेल में बैठा अनवर बन गया सरपंच, 81 मतों से हासिल की जीत
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MP पंचायत चुनाव की फिल्मी कहानी: जेल में बैठा अनवर बन गया सरपंच, 81 मतों से हासिल की जीत

मध्य प्रदेश के पंचायच चुनाव में फिल्मी कहानी सच होकर सामने आई है. दरअसल उज्जैन की एक पंचायत का चुनाव जेल में बैठा कैदी जीत गया है. उसने अपने पक्ष में एक दिन भी प्रचार प्रसार नहीं किया. बावजूद इसके वो 81 मतों से चुनाव जीत गया.

MP पंचायत चुनाव की फिल्मी कहानी: जेल में बैठा अनवर बन गया सरपंच, 81 मतों से हासिल की जीत

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: प्रदेश भर में 25 जून को पंचायत चुनाव के पहले चरण में मतदान हुआ. देर शाम ही मतगणना भी पूरी हो गई और विजय उम्मीदवारों के नाम घोषित होने लगें. इन चुनाव परिणामों में एक फिल्मी कहानी भी निकलकर सामने आई है. यहा के बड़नगर जनपद की ग्राम पंचायत झालरिया में एक ऐसा प्रत्याशी 81 मतों से चुनाव जीतकर सरपंच बन गया, जिसेने प्रचार ही नहीं किया. क्योंकि वो जेल में हैं.

झालरिया पंचायत की कहानी
ये कहानी उज्जान के बड़नगर जनपद की ग्राम पंचायत झालरिया पंचायत की है. 25 जून को हुई वोटिंग और काउंटिंग में जेल में बंद प्रत्याशी अनवर कप्तान ने जीत हासिल की. झालरिया से सरपंच पद के उम्मीदवार की जीत के नाम की जब घोषणा हुई तो चर्चा का विषय बनी गई. हर कोई इस जीत का राज जानने की आस में उत्सुकता से बैठा रहा. उत्सुकता इसलिए क्योंकि जेल में बंद होने बावजूद प्रत्याशी सरपंच कैसे बन गया.

वोटिंग के वक्त जेल में बंद था अनवर कप्तान
ग्राम पंचायत झालरिया में सरपंची के लिए तीन प्रत्याशी मैदान में थे. इन्हीं में से एक थे जेल में बंद अनवर कप्तान. अनवर जेल जाने से पहले ही नामांकन पत्र भर चुका था. 6 जून नामांकन की अंतिम तारीख थी और 4 जून को जमीन विवाद के एक मामले में उसे जेल जाना पड़ा. इस कारण वो प्रचार प्रसार ना कर पाया, लेकिन उसके पिछले कार्यकाल को देखते हुए ग्रामीणों ने उसे अन्य प्रत्यशियों के मुकाबलें 81 मत ज्यादा दिए और विजयी बनाया.

गांव वालों पिछले कार्यकाल का दिया इनाम
विजय घोषित हुए अनवर कप्तान के बारे में लोग बताते हैं कि अनवर ने अपने पिछले कार्यकाल में कबड्डी प्रतियोगिता में ग्राम पंचायत का नाम रोशन किया था. कई काम अनवर ने विकास के भी करवाए हैं. उसी सहानुभूति के चलते अनवर को भारी मतों से विजय बनाया गया है. जेल में बंद होने के बावजूद अनवर का विश्वास लोगों पर से नहीं उठा और वह दोबारा सरपंच बना. इसकी आधिकारिक घोषणा 14 जुलाई को होनी है.

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