Advertisement
trendingPhotos/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1237966
photoDetails1mpcg

MP Famous Dishes: ये हैं मध्यप्रदेश की 5 फेमस डिशेस,देखते ही मुंह में आ जाता है पानी

Madhya Pradesh Famous Dishes: अगर आप मध्य प्रदेश से हैं या किसी काम के चलते मध्यप्रदेश में रह रहे हैं या मध्य प्रदेश घूमने जा रहे हैं तो चलिए हम आपको खाने की कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताते हैं. जो प्रदेश की बहुत ही फेमस डिशेस है और आपको इसको जरूर खाना चाहिए.

1/5

पोहा जलेबी मध्य प्रदेश के लोगों का सबसे पसंदीदा नाश्ता है. बता दें कि स्वादिष्ट पोहा को लोग नमकीन और कुरकुरी जलेबियों के साथ खाते हैं

 

दाल बाफला

2/5
दाल बाफला

मध्य प्रदेश का दाल बाफला अपने टेस्‍टी टेस्‍ट के कारण पूरे देश में फेमस है. बता दें कि दाल बाफला मध्य प्रदेश में विशेष अवसरों पर बनाया जाता है. रतलाम में व्यास दाल भाटी का दाल बाफला बहुत प्रसिद्ध है. वहीं भोपाल में आप हबीब गंज और इंदौर में सर्राफा बाजार में स्वादिष्ट दाल बाफला खा सकते हैं. 

 

भुट्टे की कीस

3/5
भुट्टे की कीस

भुट्टे की कीस सिर्फ मध्य प्रदेश में बनाया जाता है. बता दें कि यह स्वादिष्ट भोजन मसालों, नारियल और स्किम्ड दूध में पके हुए मकई के दानों के साथ बनाया जाता है. साथ ही इसमें राई और हरी मिर्च भी डाली जाती है. बता दें क‍ि ये मध्य प्रदेश के सबसे पसंदीदा स्ट्रीट फूड में से एक है. 

मावा बाटी

4/5
मावा बाटी

अगर आप भोपाल में हैं तो मावा बाटी एक ऐसी मिठाई है जो आपको जरूर खानी चाहिए. ये मिठाइयां मावा से बनी होती हैं. साथ ही स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें कटे हुए ड्राई फ्रूट, इलाइची पाउडर भी डाल जाते हैं. बता दें कि ये मावा बाटी गुलाब जामुन की तरह दिखती हैं. आपको पुराने भोपाल के स्ट्रीट फूड स्टॉल में टेस्‍टी मावा बाटी खाने को मिल जाएगी.

रतलामी सेव

5/5
रतलामी सेव

रतलाम का हल्का पीला, तला हुआ और कुरकुरा 'सेव' पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है. रतलामी सेव का इतिहास बहुत ही रोचक है. बता दें कि जब मालवा क्षेत्र से गुजरने वाले मुगल बादशाहों को 'सेवइयां' बनाने के लिए गेहूं नहीं मिल पाया तो उन्होंने स्थानीय भील जनजाति को इसे बेसन से तैयार करने के लिए कहा. जो की 'भीलड़ी सेव' थी. जिसे रतलामी सेव का पूर्ववर्ती कहा जाता है. बता दें कि पहली बार व्यावसायिक रूप से 1900 में रतलामी सेव की शुरुआत हुई थी. रतलामी सेव को 2015 में जीआई टैग मिला था.