Shahjahan Mumtaz : प्यार की मिसाल कहे जाने वाला ताज महल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के याद में बनवाया था. पर क्या आप जानते हैं कि ताज महल नहीं था मुमताज का पहला मकबरा. मुमताज के शव को तीन बार अगल-अगल स्थानों में दफनाया गया था. आज हम आपको बताएंगे की मुमताज को कहां कहां दफनाया गया था.
भारत ही नहीं विश्व भर में ताज महल को प्यार की मिसाल माना जाता है. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज के लिए ताज महल का निर्माण करवाया था. बहुत कम लोग जानते हैं कि मुमताज को पहले आगरा में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में दफनाया गया था. साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि आगरा में ही ताज महल का निर्माण क्यों हुआ.
मुमताज का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था और शाहजहां ने उसे मुमताज महल का नाम दिया था. 14वीं शताब्दी में जब मुमताज अपने बच्चे को जन्म दे रही थी. तब उसकी प्रसव के दौरान मुमताज को शारीरिक समस्या हो से गुजरा पड़ा था, जिसकी कारण उनकी मौत हो गई थी. मरने से पहले मुमताज ने शाहजहां से वादा लिया था कि उनके मरने के बाद वह दूसरी शादी नहीं करेंगे और उनके लिए एक बेहद खूबसूरत मकबरा बनवाए. शाहजहां ने इस वादे को कबूला था.
ताज महल मुमताज का पहला मकबरा नहीं था. मुमताज की मौत मध्य प्रदेश में हुई थी. मुमताज के मरने के बाद उनके शव को बुरहानपुर के अहुखाना में रखा गया था. करीब 6 महीने तक ताप्ती नदी के पास बने अहुखाना में मुमताज के साथ ही शाहजहां भी रहने लगे थे क्योंकि उस समय शाहजहां के दुश्मनों का हमला बढ़त गया था.
शाहजहां ने तब मुमताज की कब्र पर हाथ रख के वादा किया की वह उसके लिए एक ऐसा मकबरा बनवाएगे जैसा किसी ने कभी देखा ना हो. लगभग 1620 के आसपास मुमताज के शव को ताप्ती नदी से यमुना नदी के दफनाया गत था. करीब 22 सालों तक मुमताज के शव को वहीं रखा गया था.
1632 में ताज महल का निर्माण शुरू हुआ और करीब 1647 तक ताज महल बन कर पूरे तरह से तैयार हो गया. मगर ताज महल के सजावट में लगभग 22 सालों का समय लग गया था. फिर तीसरी बार मुमताज के शव को ताज महल में दफनाया गया. शाहजहां के मौत के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने शाहजहां के शव को भी ताज महल में ही मुमताज के मकबरे के साथ दफनाया गया.
क्या आपको पता है की ताज महल आगरा में ही क्यों बना. बुरहानपुर में क्यों नहीं बना जहां मुमताज की मौत हुई थी और उसके शव को रखा गया था. पहला कारण तो यह है कि बुरहानपुर की मिट्टी में बहुत दीमक हैं. इसलिए नीचे बने वाले लकड़ी के ढांचे लंबे समय तक टिक नहीं पाते.
दूसरा कारण यह था कि शाहजहां चाहता था कि ताज महल की झलक नदी में दिखे, लेकिन ताप्ती नदी ज्यादा फैला हुई नहीं थी. जिससे ताज महल की झलक उसमें नहीं आती. वहीं यमुना नदी बेहद ही विशाल नदी थी इसलिए ताज महल को यमुना नदी के किनारे बनाया गया.
इसका एक तीसरा कारण भी है कि ताज महल को दिल्ली के पास बनाना था साथ ही राजस्थान के करीब भी बनना था, ताकि वहां से ताज महल के लिए ज्यादा मार्बल आ सके.
न्यूज 18 हिन्दी, दैनिक भास्कर और अन्य साइटें से ली जानकारी के अनुसार ताज महल को बनने में लगभग 20 हजार मजदूर लगे थे. भारत के कारीगरों के अलावा पर्शिया और यूरोप से भी कारीगरों को बुलाया गया था. ताज महल बनने के बाद शाहजहां ने सारे मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे. ताकि फिर से कोई ताज महल जैसी इमारत न बना सके.
ट्रेन्डिंग फोटोज़