Rewa ki Rajgadi: मध्य प्रदेश की रीवा के बघेल रियासत एक ऐसी रियासत है जहां महाराज राजगद्दी पर नहीं बैठते. रीवा रियासत की राजगद्दी पर भगवान राम को बैठाया जाता है. बघेल रियासत इस परंपरा को 500 सालों से निभाते आ रहे हैं.
राजा महाराजाओं के लिए राजगद्दी का अपना विशेष महत्व होता था, कहते थे जिसकी गद्दी जितनी बड़ी हो उसका उतना वैभव उतना बड़ा होता था. अब ऐसे में कौन सा राजा अपनी गद्दी में न बैठना चाहता होगा, लेकिन मध्य प्रदेश के रीवा में इसका उल्टा है.
रीवा एक ऐसी रियासत है जहां राजा राजगद्दी पर नहीं बैठते हैं. रीवा की बघेल रियासत में राजा नहीं भगवान राम को राजगद्दी पर बिठाया जाता है. यह परंपरा 500 सालों पहले से चली आ रही है.
भगवान राम को रघुकुल के राजा के रूप में माना जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में भगवान राम को वनवासी राम के रूप में माना जाता है. भगवान ने यह पूरा इलाका भाई लक्ष्मण को सौंपा था.
लक्ष्मण को अपना राजा मानते हुए रीवा रियासत ने अनुसरण किया और भगवान राम को राजगद्दी पर बैठा कर खुद सेवक बने.
चित्रकूट भगवान राम के वनवास का एक अहम हिस्सा रहा है. अपने वनवास काल में भगवान राम, भाई लक्ष्मण ने सबसे ज्यादा वक्त चित्रकूट में बिताया है. यहां पर भगवान राम ने असुरों का विनाश करने का संकल्प लिया था. राजा राम ने भाई लक्ष्मण को जमुना पार से लेकर दक्षिण का पूरा इलाका सौंपा था.
विंध्य में घने जंगलों के बीच स्थित है बांधवगढ़ में भगवान राम को वनवासी राम के रूप में पूजा जाता है. इसी के कारण बघेल रियासत में रघुकुल नंदन राम को गद्दी पर बैठाया गया और खुद गद्दी के सेवक बनें.
बघेल रियासत के पितृ पुरुष व्याघ्रदेव गुजरात से चलकर विंध्य पहुंचे थे. व्याघ्रदेव ने लोगों को यह जानकारी दी की यह लक्ष्मण जी का इलाका है. उन्होंने चित्रकूट के पास अपना ठिकाना बनाया और अपनी रियासत का विस्तार करते हुए बांधवगढ़ तक पहुंचे.
बघेल रियासत में लक्ष्मण जी को अपना आराध्य माना और अपने राजा के रूप में राजगद्दी पर भगवान राम को बैठाया. अब बघेल रियासत की 37वीं पीढ़ी भी इस परंपरा का निर्वाह कर रही है.
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