Madhya Pradesh News: विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को साधने में जुट गए हैं. इसी के मद्देनदर पीएम मोदी शहडोल पर पहुंचे थे. वहीं रिजर्व 82 सीटों के लिए कांग्रेस प्लान बनाने में लग गई है. जानिए क्या है विंध्य और आविवासियों का वोट गणित.
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MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और बीजेपा ने अब पूरा जोर लगातार मैदान में उतर आई हैं. बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले विंध्य में बीजेपी मोदी मौजिक से आस लगाए बैठी है. वहां कांग्रेस को मुख्य फोकस आदिवासियों की 82 रिजर्व सीटों पर है. जिसके लिए पार्टी ने मेगा रोडमैप तैयार किया है. पीएम मोदी विदेश दौरे के बाद सीधे शहडोल पहुंचे. इसके बाद कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल 23 की रणनीति में जुटे हुए हैं. जानिए क्या है दोना पार्टियों का फार्मूला.
BJP को मोदी मैजिक से आस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे के बाद मध्य प्रदेश पहुंचे थे. यहां उन्होंने राजधानी भोपाल के कुछ कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. इसके बाद आदिवासी अंचल शहडोल में पहुंचे. इससे ट्राइबव वोटों के साथ ही बीजेपी के राजनैतिक गढ़ विंध्य को साधने की कोशिश की.
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क्या मायने हैं विंध्य के ?
विंध्य के इलाके में 30 सीटें आती हैं. इसमें से फिलहाल 24 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. जबकि, 4 सोटों पर कांग्रेस ने पैर जमाए हैं. इलाके में ब्रांम्हण वोट बैंक के अलावा कुछ जिलों में आदिवासी वोट भी काफी अहम है. संभवतः इसी कारण पीएम मोदी शहडोल दौरे पर आदिवासियों के साथ भोजन करेंगे. अपने 3 घंटे के प्रवास में पीएम नन्हे फुटबॉल प्लेयरों के साथ संवाद करेंगे.
कांग्रेस ने बनाया 82 सीटों का प्लान
मध्य प्रदेश में बड़े संख्या में आदिवासी और अनुसूचित जाति की सीटें आरक्षित हैं. इसके साथ ही वो अन्य कई इलाकों में जीत हार का फैसला करते हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही इन्हें साधने का प्लान तैयार किया है. कांग्रेस देश प्रभारी जेपी अग्रवाल आरक्षित सीटों पर रणनीति बनाने के लिए बैठकें कर रहे हैं. इसके लिए इन इलाकों के पदाधिकारियों को भोपाल बुलाया जा रहा है.
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क्या है वोट बैंक का गणित?
मध्य प्रदेश में 47 सीटें जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. और 35 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. यानी कुल मिलाकर 82 सीटें आरक्षित है. प्रदेश में आदिवासी 22 और दलित 17 फीसदी वोट शेयर रखते हैं. इस कारण आरक्षित सीटों के अलावा वो करीब 120 सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. ऐसे में ये वोट बैंक दोनों पार्टियों के लिए काफी अहम हो जाता है.
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