रतलाम में ज्ञापन देने के लिए कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम नई व्यवस्था लागू की है. अब किसी भी संगठन या संस्था को ज्ञापन देने से सूचना देने होगी.
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रतलाम: मध्य प्रदेश एक ऐसा प्रदेश, जहां के मुख्यमंत्री को देश का सबसे सहज और मिलनसार नेता कहा जाता है. जिनसे कोई भी बड़ी आसानी से मुलाकात कर सकता है. और तो और कई बार वो खुद भी सभाओं से आम लोगों के बीच पहुंच जाते हैं. ऐसे में उसे प्रदेश से एक कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि अब अब किसी भी संगठन या संस्था को ज्ञापन देने से सूचना देने होगी.
ज्ञापन देने से पहले देनी होगी सूचना
मामला रतलाम का है, जहां के कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने जिले में ज्ञापन देने के लिए नई व्यवस्था लागू की है. इस संबंध में उन्होंने आदेश भी निकाला है. इसे लेकर बकायदा जिला प्रशासन के अधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर भी पोस्ट डाली गई है. आदेश के अमुसार अब जिले में किसी भी संस्था और संगठन को किसी भी प्रकार की समस्या संबंधित ज्ञापन देने के लिए कलेक्टर से मिलना है तो उन्हें इसी पूर्व सूचना देनी होगी.
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बिगड़ती है कानून व्यवस्था
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने आदेश जारी किया है कि अब बगैर पूर्व सूचना के कोई भी व्यक्ति या संगठन व संस्था ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट में नहीं आ पाएंगे. अगर किसी को कलेक्ट्रेट में आकर अगर ज्ञापन सौंपना है तो पूर्व में सूचित करना होगा. साथ ही ये भी कहा गया है कि बिना सूचना के कलेक्ट्रेट में लोग या संस्थाएं भीड़ लेकर ज्ञापन देने पहुंच जाते हैं, जिससे शासकीय कार्य में व्यवधान पैदा होता है और कानून व्यवस्था बिगड़ती है.
एक दिन पहले छात्रों ने किया था प्रदर्शन
दरअसल सोमवार को छात्रों ने तीन महीने पहले स्कूल के अंदर हुए बच्चे की आत्महत्या मामले में प्रदर्शन कर रहे थे. छात्र संगठन इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. उनका कहना था की कलेक्टर खुद आकर उनका ज्ञापन लें, लेकिन कलेक्टर नहीं आए. तीन घंटे के बाद प्रदर्शन में शामिल एक छात्रा बेहोश हो गई, जिसके बाद छात्रों ने फोरलेन सड़क पर चक्काजाम कर दिया था.
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चक्काजाम के बाद जारी हुए आदेश
छात्रों के प्रदर्शन के बाद ही क्लेक्टर ने ये आदेश जारी किए हैं. प्रशासन के तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि पहले से सूचना मिल जाने पर समय निकाल पाना संभव होगा. वहीं कानून व्यवस्था को भी दुरुस्त किया जा सकेगा. जबकि इलाके में कलेक्टर के इस आदेश की आलोचना भी हो रही है. लोगों का कहना है कि सरकारी नुमाइंदे जनता की समस्या का समाधान करने के लिए होते हैं. इस तरह के आदेश देकर वो खुद को समस्याओं से दूर कर रहे हैं.
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