Shrawani Upakarma: सावन पूर्णिमा पर किया जाता है श्रावणी उपाकर्म, जानिए सही विधि व शुभ मुहूर्त
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Shrawani Upakarma: सावन पूर्णिमा पर किया जाता है श्रावणी उपाकर्म, जानिए सही विधि व शुभ मुहूर्त


Shravani Purnima: सावन माह के पूर्णिमा के दिन ब्राम्हण लोग पवित्र नदी में स्नान करने के बाद श्रावणी उपाकर्म करते हैं. आइए जानते हैं कब है श्रावणी उपाकर्म करने का शुभ मुहूर्त और क्या है इसका महत्व.

Shrawani Upakarma: सावन पूर्णिमा पर किया जाता है श्रावणी उपाकर्म, जानिए सही विधि व शुभ मुहूर्त

Shravani Upakarma 2022: सावन माह के पूर्णिमा का इंतजार जितने उत्साह के साथ भाई बहन को रक्षाबंधन को लेकर रहता है, उतना ही इंतजार ब्राम्हण वर्ग को जनेऊ बदलने को लेकर रहता है. वैसे तो यह त्यौहार सभी के लिए खास होता है. लेकिन ब्राम्हणों का इस त्यौहार का अपना अलग ही महत्व होता है. इस दिन ब्राम्हण लोग पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात् श्रावणी उपाक्रम(जनेऊ बदलना) करते हैं. आइए जानते हैं क्या है श्रावणी उपाक्रम की सही विधि और कब है इसका शुभ मुहूर्त.

12 अगस्त को प्रातः काल करें श्रावणी उपाक्रम
हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन ब्राम्हण लोग राखी बंधवाने के साथ पवित्र नदी में स्नान करके अपना यज्ञोपवीत बदलने के पश्चात दान, जप, व विधि पूर्वक पूजा करते हैं. श्रावणी उपाकर्म ब्रम्हबेला में किया जाता है. इसलिए इस बार श्रावणी उपाकर्म करने का शुभ समय 12 अगस्त को सुबह ब्रम्हबेला से लेकर सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में आप कभी भी स्नान करने के बाद अपना जनेऊ बदल सकते हैं.

क्या होता है श्रावणी उपाकर्म
जिन लोगों का यज्ञोपवीत संस्कार यानी जनेऊ हो चुका होता है, वे लोग इस दिन अपने पुराने जनेऊ को उतारकर नया जनेऊ धारण करते हैं. इसके लिए सबसे पवित्र और शुभ मुहूर्त रक्षाबंधन को ही माना जाता है.

गुरू के सान्निध्य में करें श्रावणी उपाकर्म
सावन माह के पुर्णिमा के दिन प्रातः काल पवित्र नदी में स्नान करने के पश्चात् श्रावणी उपाकर्म का कार्य किसी योग्य गुरू के सान्निध्य में करें. इस दिन पंचगव्य यानी गौमाता के दूध, दही, घी, गोबर, मूत्र और पवित्र कुश से स्नान करे. इसके साथ पूरे साल किए गए पापों का प्राश्चित करें. इसके बाद अपने इष्ट देवता का ध्यान कर जनेऊ उतारने के मंत्र "एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया. जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्.." का जप करते हुए जनेऊ उतारें. साथ ही जनेऊ पहनने के मंत्र "ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेयर्त्सहजं पुरस्तात्. आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः".. का जप करते हुए नया जनेऊ धारण करें.

जानिए क्या होता है जनेऊ
सनातन परंपरा अनुसार यज्ञोपवीत यानी जनेऊ एक महत्वपुर्ण संस्कार होता है. इसे धारण करने वाले लोगों को इससे जुड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार बिना यज्ञोपवीत संस्कार के जनेऊ संस्कार नहीं होने चाहिए. 
 

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disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यतआों और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.

 

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