कोरोना से हो गई थी मौत, पत्नी की याद में पति ने बनवाया मंदिर, रोज करता है पूजा-अर्चना
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कोरोना से हो गई थी मौत, पत्नी की याद में पति ने बनवाया मंदिर, रोज करता है पूजा-अर्चना

शाजापुर में एक शख्स ने अपनी पत्नी की मौत के बाद अपने बेटों के साथ मिलकर अपनी पत्नी का मंदिर ही बना दिया. 

पति ने बनवाया पत्नी का मंदिर

मनोज जैन/शाजापुरः मुमताज की याद में शाहजहां ने आगरा में ताजमहल बनवाया था. आज के दौर में ऐसा होना मुश्किल लगता है. लेकिन मध्य प्रदेश में एक पति ने अपनी पत्नी की याद में कुछ ऐसा है किया है, जिसे सुनकर हर कोई तारीफ करता है. 

पति ने पत्नी का मंदिर 
शाजापुर में एक शख्स ने अपनी पत्नी की मौत के बाद अपने बेटों के साथ मिलकर अपनी पत्नी का मंदिर ही बना दिया. इस शख्स ने अपने बेटों के साथ रिश्तों को भगवान का दर्जा देने की कोशिश की हैं. जहां एक पति ने अपनी पत्नी का मंदिर बनवाया और हर दिन सुबह शाम उसमें पूजा भी करता है. 

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कोरोना से हुई थी पत्नी की मौत 
दरअसल, शाजापुर जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर सांपखेड़ा गांव में रहने वाले नारायण सिंह बंजारा की पत्नी गीताबाई की कोरोना बीमारी के चलते 27 अप्रैल को मौत हो गई थी. नारायण सिंह की पत्नी बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की थी और उनका लगाव राजस्थान के रामदेवरा में स्थित बाबा रामदेव मंदिर से था. वह हर साल उस मंदिर में दर्शन करने लिए भी जाती थी. लेकिन कोरोना होने के बाद उनकी मौत हो गई. 

खास बात यह है कि नारायण सिंह का भी अपनी पत्नी से बेहद लगाव था और इनके बेटे भी अपनी मां की मौत के बाद टूट से गए थे. ऐसे में मां की मौत के तीसरे के कार्यक्रम के दिन बेटों और पति ने उनकी स्मृति में घर के बाहर एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया और उसमें पत्नी की प्रतिमा को स्थापित किया जाने का फैसला किया.

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राजस्थान से बनवाई मूर्ति 
जब नारायण सिंह और उसके बेटों ने अपनी मां का मंदिर बनाने का फैसला कल लिया तो उन्होंने गीता बाई की मूर्ति राजस्थान से बनवाई. नारायण सिंह ने गीता बाई की मूर्ति बनाने का काम राजस्थान के अलवर के मूर्तिकार को 50 हजार रुपये में दिया. जहां करीब डेढ़ माह में मूर्ति बनकर तैयार हो गई और उसके बाद मूर्ति को लाकर घर के बाहर बनवाएं गए मंदिर में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गई.

प्रतिदिन करते हैं पूजा अर्चना
गीता बाई की तीन फीट बड़ी इस सुंदर प्रतिमा के लिए घर के बाहर मंदिर बनाकर स्थापित किया गया. घर के बाहर बने इस छोटे से मंदिर में अब हर रोज सुबह शाम नारायण सिंह और उनके बेटे नियमित पूजा अर्चना करते है. बेटे भी चाहते थे कि मां भले ही इस दुनिया से चली गई हो. लेकिन इस प्रतिमा के तौर पर सदैव वे उनके साथ रहे, वहीं नारायण सिंह भी अपनी पत्नी को देवी स्वरूप मानते है और उनके आचरण और संयमित जीवन शैली की तारीफ करते नहीं थकते. 

दरअसल, कोरोना काल में कई लोग अपनों को बेवक्त छोड़कर चले गए, लेकिन अपनों को अपने बीच जिंदा रखने के लिए कई लोग कुछ न कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि वह हमेशा उनकी याद में बना रहे हैं. नारायण सिंह द्वारा अपनी पत्नी की याद में किया गया यह इस काम की जमकर तारीफ हो रही है. 

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