Susner Vidhan Sabha Seat: इस सीट पर 1998 से नहीं जीती कांग्रेस, 2018 में एक गलती पड़ी थी भारी
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Susner Vidhan Sabha Seat: इस सीट पर 1998 से नहीं जीती कांग्रेस, 2018 में एक गलती पड़ी थी भारी

susner Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले की सुसनेर विधानसभा सीट (susner Seat Analysis) पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. इस बार यहां का क्या समीकरण होगा और इस सीट का क्या इतिहास है यहां जानें. 

Susner Vidhan Sabha Seat: इस सीट पर 1998 से नहीं जीती कांग्रेस, 2018 में एक गलती पड़ी थी भारी

susner Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. वहीं आगर मालवा जिले की सुसनेर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को 2 दशक से हार का सूखा खत्म होने का इंतजार है. इस सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां जो जीतता है, प्रदेश में उसी की सरकार बनती है. हालांकि ये मिथ तब टूटा जब साल 2018 में इस सीट से 66 साल बाद कोई निर्दलीय उम्मीदवार विक्रम सिंह राणा ने जीत दर्ज की थी. हालांकि बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए थे. आईये जानते हैं, इस सीट का समीकरण

सुसनेर सीट का जातीय समीकरण
आगर मालवा जिले की सुसनेर सीट की पहचान मिठास के लिए हैं. इस सीट पर सोंधिया, राजपूत और यादव समाज के मतदाता निर्णायक होते हैं. यहां सोंधिया समाज के मतदाताओं की संख्या करीब 40 हजार है. 

कुल मतदाता- 2 लाख 29 हजार 464 ( 2018 के मुताबिक)
महिला- 1 लाख 10 हजार 317 मतदाता
पुरुष- 1 लाख 19 हजार 142 मतदाता

सुसनेर सीट का राजनीतिक इतिहास
मध्य प्रदेश के शाजापुर से अलग होकर जिला बने आगर मालवा में 2 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें एक आगर और दूसरी सुसनेर है. सुसनेर सीट को बीजेपी का गढ़ कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि यहां 1998 से कांग्रेस का एक भी प्रत्य़ाशी जीत दर्ज नहीं कर पाया है. हालांकि 2018 के चुनाव में बीजेपी जरूर तीसरे पायदन पर रही लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी जीत कर भाजपा में शामिल हो गए. अब आगामी चुनाव में भी राणा को बीजेपी का मजबूत दावेदार माना जा रहा है. 

साल 2018 का परिणाम
सुसनेर विधानसभा सीट से कांग्रेस के बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़े विक्रम सिंह राणा को 75,804 वोट मिले, जबकि यहां कांग्रेस के महेंद्र भैरूसिंह 48,742 मतों से दूसरे नंबर पर रहे, वहीं बीजेपी के मुरलीधर पाटीदार 43,880 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे. इस तरह विक्रम सिंह राणा 27 हजार मतों से जीते थे. टिकट बंटवारे में कांग्रेस के मजबूत दावेदार की अनदेखी पार्टी को भारी पड़ गई. राणा के पिता स्वर्गीय राणा नटवर सिंह और दादा मानसिंह सुसनेर से विधायक रह चुके हैं.

कब-कब कौन जीता
2018 में विक्रम सिंह राणा (निर्दलीय)
2013 में मुरलीधर पाटीदार (बीजेपी) 
2008 में संतोष जोशी  (बीजेपी) 
2003 में  फूलचंद  (बीजेपी) 
1998 में वल्लभभाई (कांग्रेस)
1993 में वल्लभभाई (कांग्रेस) 
1990 में  बद्रीलाल सोनी  (बीजेपी)
1985 में हरि भाऊ जोशी  (बीजेपी)
1980 में राणा नटवर सिंह (कांग्रेस) 
1977 में हरि भाऊ जोशी (जेएनपी) 
1972 में हरिभाऊ जोशी (बीजेएस)

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