Coal Gasification Policy क्या है? कोयला मंत्री से जानिए भारत के लिए ये क्यों जरूरी...
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Coal Gasification Policy क्या है? कोयला मंत्री से जानिए भारत के लिए ये क्यों जरूरी...

Coal Gasification Policy: भारत में कोल गैसिफिकेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार किस तरह से काम कर रही हैं, और ये आने वाले सालों में भारत के लिए क्यों जरूरी है. इसे लेकर केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी से ज़ी मीडिया ने खास बातचीत की है.

Coal Gasification Policy क्या है? कोयला मंत्री से जानिए भारत के लिए ये क्यों जरूरी...

Coal Gasification Policy: केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी ने भारत में कोल गैसिफिकेशन को लेकर ज़ी मीडिया से खास बातचीत की है. उन्होंने कोल गैसिफिकेशन को बढ़ावा देने और प्राइवेट सेक्टर को आकर्षित करने से लेकर कई सवालों के जवाब दिए है.

बता दें कि कोयले से गैस बनाने की प्रक्रिया को कोल गैसिफिकेशन कहते हैं. सरकार ने 2030 तक 100 मिट्रिक टन कोल गैस उत्पादन का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए लिए खास तौर पर  Coal Gasification के लिए 6000 करोड़ के VGF के लिए जल्द टेंडर निकालने कि योजना भी है. भारत के लिए कई मायनों में यह पॉलिसी महत्वपूर्ण है. इस प्रक्रिया में कम कार्बन का उत्सर्जन होता है, साथ ही गैस आपूर्ति में मदद मिलेगी. कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस पॉलिसी को धरातल पर उतारने के लिए 6000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.

6000 करोड़ के VGF के टेंडर में छोटे और बड़े कई कंपनियां भाग लेंगी. 
प्रहलाद जोशी ने कहा कि हालांकि दुनिया भर में कोल गेसिफ़िकेशन कि कोई सटीक टेक्नोलॉजी नहीं है. लेकिन देश में Thermax कंपनी ने कोल गेसिफ़िकेशन टेक्नोलॉजी पर काम किया है. इस कंपनी कि टेक्नोलॉजी हमारे लिए एक उम्मीद कि किरण है. इसमें कई छोटी और बड़ी कंपनियां भाग लेंगी.

कोल गैसिफिकेशन में कोयले की कमी हुई तो?
प्रहलाद जोशी ने कहा कि कोल गैसिफिकेशन की प्रक्रिया में कोयले की कमी ना हो इसके लिए मिनिस्ट्री ऑफ कोल ने कोल इंडिया लिमिटेड और  SCCL को विशेष निर्देश दिया है. गैसिफिकेशन कोल के लिए अलग से बोली शुरू करने की व्यवस्था की जाएगी. कोल इंडिया लिमिटेड ने कोल गैसिफिकेशन प्लांट बनाने के लिए BHEL, IOCL, GAIL जैसी कंपनियों के साथ   MOU करार भी कर चुकी है.

कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान 
कोल गैसिफिकेशन को बढ़ावा देने और प्राइवेट सेक्टर को आकर्षित करने को लेकर प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ कोल गैसिफिकेशन प्लांट तैयार करने के लिए कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान है. यह मैक्सिमम 15 फीसदी तक हो सकता है. इसका फायदा प्राइवेट और पब्लिक, दोनों कंपनियों को मिलेगा. 50 फीसदी फाइनेंशियल पेमेंट अपफ्रंट कर दिया जाएगा, जबकि बकाया का भुगतान प्लांट तैयार होने के बाद किया जाएगा.

ग्रीन एनर्जी की परेशनी को गंभीरता से लिए
Hindustan Copper के विनिवेश को लेकर कोयला मंत्री ने कहा कि फिलहाल कोई योजना नहीं है. वहीं ग्रीन एनर्जी को लेकर उन्होंने कहा कि कोल सेक्टर ने माइनिंग से होने वाली परेशानियों को गंभीरता से लिया है. सप्लाई और एनवायरनमेंट पर असर में बैलेंस बनाने की कोशिश की जा रही है. हमारा लक्ष्य 50 फीसदी एनर्जी का उत्पादन नॉन-फॉसिल्स फ्यूल से करने का है. धीरे-धीरे पर कैपिटा पावर कंजप्शन को बढ़ाने पर भी जोर है. 2070 तक अगर जीरो इमिशन का लक्ष्य पाना है तो कोल गैसिफिकेशन पॉलिसी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है.

गोल्ड माइनिंग एक्सप्लोरेशन पर भी चल रहा काम
गोल्ड माइनिंग को लेकर उन्होंने कहा कि इस दिशा में भी काम चल रहा है. पिछले पांच सालों में 13 गोल्ड ब्लॉक की नीलामी हो चुकी है. गोल्ड एक्सप्लोरेशन में ज्यादा समय और पैसा लगता है. रेयर मिनरल्स एक्सप्लोरेशन को लेकर उन्होंने कहा कि GSI यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इस दिशा में काम कर रहा है. बीते पांच सालों में देश के अलग-अलग कोने में GSI ने 172 प्रोजेक्ट्स में एक्सप्लोरेशन का काम किया है. 

जम्मू और राजस्थान में लिथियम पर एक्सप्लोरेशन पर काम चल रहा है. अभी जम्मू में G3 एक्सप्लोरेशन स्टेज का एक्सप्लोरेशन चल रहा है. इसे G 2 लेवल पर लेकर आना है.  लिथियम एक्सप्लोरेशन का ऑक्शन कैसे होगा यह J&K को फ़ैसला होगा. प्राइवेट निवेश से कोई परहेज़ नहीं होना चाहिए लेकिन अभी प्रीमेच्योर है.

सीएम शिवराज कर चुके कोल गैसीफिकेशन की मांग 
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान करीब 2 साल पहले यानी साल 2021 में वर्चुअली मंत्री प्रहलाद जोशी से ये मांग कर चुके हैं कि प्रदेश को कोल गैसीफिकेशन की आवश्यकता है. तब सीएम शिवराज ने कहा था कि प्रदेश में कोयले के भंडार प्रचुर मात्रा में हैं, प्रदेश में कोयला खनन का कार्य भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जा रहा है. मध्यप्रदेश में इन कंपनियों को कोल गैसीफिकेशन और लिक्विडिफिकेशन के लिए कार्य करने के निर्देश दिए जाएं. इससे पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा के स्रोत को समृद्ध करने में मदद मिलेगी. बता दें कि ये भी जानकरी उस समय सामने आई थी कि आने वाले सालों में कोल इंडिया देशभर में 20 खदानें प्रारंभ करने जा रहा है, इसमें से छह मप्र में होंगी.

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