नई नीति के तहत नए मोबाइल टावर किसी भी विभाग की सरकारी जमीन, सार्वजनिक उपक्रम, विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पालिका और आयोग की छतों पर लगाए जा सकेंगे.
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भोपाल: मध्यप्रदेश में अब सरकारी इमारतों से भी सरकार ने पैसा कमाने का प्लान तैयार किया है. राज्य सरकार की ओर से मंजूर की गई नई दूरसंचार नीति 2019 के तहत, प्रदेश में 6 हज़ार नए मोबाइल टावर लगाने का रास्ता साफ हो गया है. मोबाइल टावर्स को सरकारी इमारतों की छत और जमीन पर लगाया जा सकेगा. इसके लिए निगम आयुक्त की नहीं, बल्कि कलेक्टर की अनुमति लेनी होगी.
नई नीति के तहत नए मोबाइल टावर किसी भी विभाग की सरकारी जमीन, सार्वजनिक उपक्रम, विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पालिका और आयोग की छतों पर लगाए जा सकेंगे. हालांकि, स्कूलों, सरकारी अस्पतालों और खेल मैदानों को दूर रखा गया है. मोबाइल टावर लगाने के लिए कलेक्टर की मंजूरी, संस्थान की सहमति और कंसल्टेंट का सुरक्षा प्रमाण पत्र जरूरी होगा.
कमलनाथ सरकार की ओर से मंजूर की गई नई नीति के मुताबिक टावर के लिए कलेक्टर गाइडलाइन पर दर तय होगी. साथ ही संबंधित क्षेत्र में जमीन की गाइडलाइन के मूल्य के 20 फीसदी राशि जमा करना होगी.
नई दूरसंचार नीति 2019 के अनुसार, मोबाइल टावर लगाने पर खतरा या जानमाल के नुकसान की संभावना होने पर टेलीकॉम कंपनी को 15 दिन पहले नोटिस देना होगा. जिसके बाद कलेक्टरों के पास मोबाइल टॉवर हटाने के अधिकार सुरक्षित रहेंगे. वहीं, टावर हटाने के लिए नोटिस के बाद 90 दिन की मोहलत मिलेगी.
बता दें कि टावर से होने वाले किसी भी हादसे के लिए टेलीकॉम कंपनियों की सीधी जिम्मेदारी होगी. इसके लिए बकायदा क्षतिपूर्ति बंधपत्र भी भरवाया जाएगा. ये बॉन्ड नगरीय निकाय और टेलीकॉम कंपनी के बीच होगा. यानि किसी भी अप्रिय घटना के दौरान हर्जाना चुकाने के लिए बॉण्ड के मुताबिक टेलीकॉम कंपनी का जिम्मा होगा. अगर कोई घटना होगी तो सरकार या कलेक्टर की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.