दोनों भाईयों का कहना है कि शुरुआत में तो इन्हें भी काफी दिक्कतें आई लेकिन धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता बढ़ती गई और अब उन्हें काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है.
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भिंड: मध्यप्रदेश के भिंड जिले की चंबल घाटी के बियावान बीहड़ी गांव की महिलाएं सेनेटरी पैड (Sanitary pads) का उपयोग तो दूर इसके बारे में बात तक करना पसंद नहीं करती थी. लेकिन इस सोच को बदला है गांव के रहने वाले दो भाई अनुराग बोहरे और विराग बोहरे ने, जिन्हें पैडमैन के नाम से जाना जाता है. दोनों भाई पैडमैन मूवी आने से पांच पहले से ही सेनटरी पैड बनाने के इस काम मे लगे हुए थे, जो आज बेहद ही कम दाम में बेहतरीन क्वालिटी के पैड बनाकर दे रहे है. यहीं नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में हर महीने सैकड़ों सैनिटरी पैड मुफ्त भी महिलाओं को बांट रहे है.
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कीमत अधिक होने से खरीद नहीं सकें
महिलाओं में माहवारी या पीरिड्स कोई नई बात नहीं है, लेकिन भारत में आज भी इसे लेकर सार्वजनिक बात करने में लोग हिचकिचाते है. यही कारण रहा कि यहां पर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं पुराने कपड़ों का उपयोग कर कई घातक बीमारियों का शिकार होती रही और इस बारे में वह बात नहीं करती थी. महिलाओं में जागरूकता से धीरे-धीरे समय बदला और यहां भी कई कंपनियों ने सेनेटरी पैड बेचने शुरू किए, लेकिन अधिक कीमत की वजह से वह गरीब महिलाओं की पहुंच से दूर रहे.
प्रदर्शनी के दौरान आया ख्याल
विराग और अनुराग ने बताया कि वर्ष 2008 में राजस्थान के जयपुर शहर में एक प्रदर्शनी के दौरान उन्होंने पैड बनाने की मशीन देखी जो कि काफी महंगी थी. इसके बाद उन्होंने इस मशीन के ऊपर काम करना शुरू किया और बेहद ही कम लागत की मशीन तैयार की है. जहां पुरानी मशीन 20 लाख की आती थी, वहीं इन दोनों भाइयों ने मिलकर महज दो लाख रुपये की लागत में ही मशीन तैयार कर उनसे सेनेटरी पैड बनाना प्रारंभ कर दिया.
आस पास के देशों से भी डिमांड
दोनों भाईयों का कहना है कि शुरुआत में तो इन्हें भी काफी दिक्कतें आई लेकिन धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता बढ़ती गई और अब उन्हें काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. जिसके चलते पूरे भारत में ही नहीं बल्कि आसपास के देशों में भी हमारे बनाये हुए सेनेटरी पैड और मशीन की डिमांड आने लगी है. हम सैनेटरी मशीन देश के 250 स्थानों पर हम लोग लगा चुके है. वहीं नेपाल में 150 मशीन लगाने का हमारी वहां की सरकार से अनुबंध है, लॉकडाउन से पहले हम लोग नेपाल में 30 मशीन लगा चुके है.
महिलाओं को रोजगार भी दिया
चंबल क्षेत्र के छोटे से गांव मनेपुरा में दोनों भाईयों ने अपने सेनेटरी पैड बनाने की इकाई लगाई और यहां की स्थानीय महिलाओं को भी रोजगार दिया है. वह चंबल क्षेत्र में कैंप लगाकर सेनेटरी पैड के उपयोग के बारे में जानकारी देते हैं और महिलाओं को मुफ्त सेनेटरी पैड भी बांटते है. इस काम में उनके घर की महिलाएं भी पूरा सहयोग कर रही है.
सस्ता और छोटी पॉकेट वाला भी है
इनके द्वारा बनाए गए सेनेटरी पैड बेहद ही अच्छी क्वालिटी का है और बाजार में बिकने वाले आम सेनेटरी पैड की अपेक्षा सस्ता एवं कम जगह घेरने वाला है. उन्होंने बताया यहां बनने वाला सेनेटरी पैड थ्री फोल्ड लेयर का है, जिसे कोई भी आराम से छोटी सी पॉकेट में भी कैरी कर सकता है.
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फिल्म के पहले से हम काम में लगे थे
सभी जानते है कि सबसे पहले भारत में सस्ते सेनेटरी पैड बनाने का श्रेय मुरुगनाथम को जाता है. इनके ऊपर एक फिल्म भी बनाई गई है, जिसका नाम है पैडमैन और इस फिल्म में अक्षय कुमार ने मुख्य किरदार निभाया था. यह तो थी फिल्म की बात लेकिन फिल्म के रिलीज होने के 5 साल पहले से ही मध्यप्रदेश के होनहार युवा भाई की यह जोड़ी इस काम में जुटी हुई थी.
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