भारत का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश अपनी संस्कृति के लिए मश्हूर है. यहां कई मंदिर हैं जिनकी अपनी है अलग कहानी है. नवरात्रे चल रहे हैं तो आज हम आपको बताएंगे मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध माता के मंदिरों के बारे में. ऐसे मंदिर जिनकी अपनी ही मान्यताए हैं.
श्री कवलका माता मंदिर रतलाम में स्थित है. ये मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है. यहां स्थित माता की मूर्ति बड़ी ही चमत्कारी है. कहा जाता है कि यहां स्थित मां कवलका, मां काली और काल भैरव की मूर्तियां मदिरापान करती हैं. भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए मदिरा का भोग लगाते हैं.
मांढरे की माता मंदिर ग्वालियर में स्थित है. कंपू क्षेत्र के कैंसर पहाड़ी पर बना यह भव्य मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से बेहद खास है. इस मंदिर में विराजमान अष्टभुजा वाली महिषासुर मर्दिनी मां महाकाली की प्रतिमा अद्भुत और दिव्य है.
बिजासेन देवी मंदिर: पुरातन तंत्र विद्या पत्रिका 'चंडी' में इंदौर के बिजासन माता मंदिर में विराजमान नौ दैवीय प्रतिमाओं को तंत्र-मंत्र का चमत्कारिक स्थान व सिद्ध पीठ माना गया है.
मां चामुंडा-तुलजा भवानी देवी मंदिर देवास में स्थित है. देवी के 52 शक्तिपीठ में से मां चामुंडा, तुलजा दरबार को एक शक्तिपीठ के तौर पर माना जाता है. देश के अन्य शक्तिपीठों पर माता के अवयव गिरे थे, लेकिन ऐसा बताया जाता है कि यहां टेकरी पर माता का रक्त गिरा था.
रतनगढ़ वाली माता मंदिर देवास के घने जंगल मे सिंध नदी के तट पर स्थित है. यहां हर वर्ष दिवाली दूज पर हजारों कि संख्या मे लोग दर्शन करने आते हैं.
मां पीताम्बरा पीठ दतिया शहर में स्थित है. इस स्थान को तपस्थली भी कहा जाता है. मां पीताम्बरा पीठ बगलामुखी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो 1920 के दशक में श्रीस्वामी जी द्वारा स्थापित किया गया था.
सतना में स्थित ये मंदिर त्रिकुट पर्वत की चोटी के बीच बसा है, जहां माता के दर्शन के लिए भक्तों को 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. इस मंदिर में मैहर माता के अलावा काली, दुर्गा, गौरी शंकर, शेष नाग,काल भैरवी, हनुमान आदि भी विराजमान हैं.
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