1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में जब पाकिस्तानी सेना ने राजस्थान के खेमकरण सेक्टर में घुसपैठ की तो भारतीय सेना ने भी मुंह तोड़ जवाब दिया. पाकिस्तान ने अपने टैंकों के काफिले के साथ इस इलाके में एंट्री की थी लेकिन भारतीय सेना के हमले में अस्सल उत्तर के इलाके में पाकिस्तानी सेना के करीब 97 टैंक तबाह हो गए थे, वहीं भारतीय सेना को सिर्फ 10 टैंकों का नुकसान उठाना पड़ा था. भारतीय सेना द्वारा तबाह किए गए पाकिस्तानी सेना के टैंकों की तस्वीर.
1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में लोंगेवाला नामक जगह पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आयीं थी. उस लड़ाई में भारतीय सेना के 120 जवानों ने राइफल लगी जीप की मदद से करीब 2000 पाकिस्तानी सैनिकों को ना सिर्फ रोका, बल्कि पाकिस्तान सेना को वापस लौटने पर भी मजबूर कर दिया था. लोंगेवाला की लड़ाई को भारतीय सेना के सबसे प्रतापी युद्धों में से एक माना जाता है. लोंगेवाला लड़ाई के बाद जीत की खुशी मनाते भारतीय सैनिकों की तस्वीर.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिक ब्रिटेन की तरफ से लड़े. उसी युद्ध के दौरान की एक तस्वीर. जिसमें भारतीय सैनिक फ्रांस की एक सड़क से गुजरते हुए नजर आ रहे हैं. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान करीब 13 लाख भारतीयों ने इसमें शिरकत की. इनमें से करीब 74 हजार विदेशी धरती पर लड़ते हुए शहीद हो गए थे.
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के कैप्टन विक्रम बत्रा ने अदम्य साहस का परिचय दिया था. कैप्टन विक्रम बत्रा के नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा किया. इसी दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा ने कहा था कि ये दिल मांगे मोर. जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था. कारगिल युद्ध के दौरान अपने साथी जवानों के साथ खड़े परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा की यह तस्वीर भी कई मायनों में ऐतिहासिक है.
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने अग्रिम मोर्चे पर जाकर सैनिकों को संबोधित किया और सैनिकों को जोश भरा. उसी समय की यह तस्वीर है, जिसमें लाल बहादुर शास्त्री एक टैंक पर खड़े होकर सैनिकों को उत्साहित कर रहे हैं.
साल 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के जनरल थे. उस युद्ध में सैम मानेकशॉ ने आगे बढ़कर सेना का कुशल नेतृत्व किया और पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. उसी युद्ध के दौरान की एक तस्वीर जिसमें सैम मानेकशॉ सैनिकों के साथ रणनीति बनाते दिखाई दे रहे हैं.
1965 की भारत पाकिस्तान लड़ाई में भी पाकिस्तानी सेना को मुंह की खानी पड़ी थी. इस दौरान भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच गई थी. दरअसल पाकिस्तान ने भारतीय सेना की सप्लाई चेन तोड़ने की योजना बनायी. जैसे ही भारतीय सेना को इसकी भनक लगी तो उन्होंने दूसरा फ्रंट खोल दिया और सीधे लाहौर पर चढ़ाई कर दी. लाहौर के एक पुलिस स्टेशन के सामने खड़े होकर खिंचवाई गई यह तस्वीर इतिहास के पन्नों में दर्ज है.
कारगिल युद्ध के दौरान जब पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ना शुरू किया तो वह अपने हथियार और गोला बारूद छोड़कर भाग गए या फिर मार दिए गए. इस दौरान भारतीय सेना द्वारा बरामद की गई पाकिस्तानी मशीनगन को देखते तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस.
साल 1999 में जब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी शांति का संदेश लेकर लाहौर गए, तभी पाकिस्तानी सेना ने धोखा करते हुए कारगिल की पहाड़ियों पर चढ़ाई कर दी थी. हालांकि हमारे वीर जवानों ने अपनी जान देकर भी मातृभूमि की रक्षा की और कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर फतह हासिल की. कारगिल विजय के दौरान ही एक चोटी पर तिरंगा फहराते भारतीय सैनिक.
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