Sheetala Saptami: शीतला सप्तमी पर मां शीतला माता की विशेष पूजा का महत्व है और आज के दिन मां शीतला माता को ठंडे यानी बासे पकवानों का भोग लगाया जाता है. मध्य प्रदेश के सभी माता मंदिरों में आज भक्तों का तांता लगा हुआ है. घरों में भी ठंडा खाना खाने की परंपरा है. माना जाता है कि आज शीतला माता की पूजा से विशेष आशीर्वाद मिलता परिवार निरोगी होता है सुख समृद्धि आती है.
हिन्दू धर्म में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी मनाई जाती है. इस बार होली के बाद यह त्योहार 1 अप्रैल को मनाया जा रहा है. आज के दिन मां शीतला को ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाता है. घर के सभी सदस्य भी बासा भोजन ही करते हैं.
कई जगह इस त्योहार को बासोड़ा भी कहते हैं. जब हर देवी-देवता को जहां ताजे भोजन का भोग लगाया जाता है तो इस दिन दिन मां को बासी भोग क्यों लगाया जाता है. आखिरकार इस परंपरा के पीछे क्या कारण हैं. क्या वजह जिसकी वजह से बासा भोजन का भोग लगाने की परंपरा है.
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, शीतला माता को बासी भोजन बेहद प्रिय है. सप्तमी से एक दिन पहले ही घरों में भोजन तैयार कर लिया जाता है. इस दिन हलवा, पूड़ी, सब्जी और खीर बनाने की परंपरा है. कई जगह मीठे चावल और पुआ भी बनाए जाते हैं.
माना जाता है कि शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं. इस दिन बासी भोजन खाने के शरीर स्वस्थ रहता है. हालांकि, इस मान्यता के पीछे लोग वैज्ञानिक कारण भी बताते हैं.
विज्ञान का मानना है कि चैत्र का महीने में मौसम में बदलाव होता है. इस समय सर्दी खत्म हो रही होती है और गर्मी की शुरुआत होती है. मौसम के इस बदलाव के समय खान पान का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है.
इस समय सुबह और शाम के समय सर्दी और दोपहर में गर्मी होती है. इसकी वजह से स्वास्थ्य प्रभावित होता है. ऐसे में मौसम में ठंडा भोजन पाचन तंत्र के लिए बेहतर माना जाता है. यही वजह है कि सप्तमी के दिन लोग बासा खाना खाते हैं.
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