एमडीएच मसाला कंपनी के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का आज 98 साल की उम्र में निधन हो गया. उनका जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था. साल 1947 में बंटवारे के वक्त महाशय धर्मपाल गुलाटी भारत आ गए और अमृतसर के एक शरणार्थी शिविर में रहे. इसके कुछ समय बाद वह दिल्ली आ गए.
दिल्ली आने के बाद धर्मपाल गुलाटी की जेब में सिर्फ 1500 रुपये थे और उन्होंने 650 रुपए में एक तांगा खरीदा. जिसमें वह कनॉट प्लेस और करोल बाग के बीच यात्रियों को लाने और ले जाने का काम करते थे. इसके लिए वह दो आना प्रति सवारी लेते थे.
गरीबी से तंग आकर धर्मपाल गुलाटी ने अपना तांगा बेच दिया और मसालों का कारोबार शुरू करने का फैसला किया, जो उनका पुश्तैनी कारोबार था. 1953 में चांदनी चौक में एक छोटी सी दुकान किराए पर ली और उसका नाम महाशियां दी हट्टी रखा.
MDH मसाले जो इतना प्रसिद्ध है उसका पूरा नाम महाशियां दी हट्टी ही है. इसे भारतीय खाद्य उद्योग में कामयाबी की एक बड़ी मिसाल माना जाता है.
महाशय धर्मपाल ने छोटे स्तर पर कारोबार शुरू किया था. जब मिर्च-मसालों की बिक्री ज्यादा होने लगी तो वह पिसाई का काम घर के बजाए पहाड़गंज की मसाला चक्की में कराने लगे.धीरे धीरे उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में दुकानें खोल दी.
MDH के पूरी दुनिया में डिस्ट्रिब्यूटर हैं और दुबई में फैक्ट्री, लंदन, शारजाह, यूएस में ऑफिस हैं, जबकि भारत में एमडीएच के करीब 1000 डिस्ट्रिब्यूटर हैं. एमडीएच का कारोबार भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, चीन और जापान में भी है. इसके अलावा गल्फ देशों में भी एमडीएच के मसालों का कारोबार है
MDH मसालों के विज्ञापनों से घर-घर में पहचान बना चुके इसके मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी को पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है.
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