रावण को बनाया और सजाया तो लगभग हर जगह ही जाता है लेकिन प्रदेश की राजधानी में लगने वाला से बाजार अपनी तरह का खास ही मार्केट है.
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रायपुर: देश के हर कोने में तीज-त्योहार अपने ही तरीके से मनाए और सेलिब्रेट किए जाते हैं. दशहरा में रायपुर में ऐतिहासिक रावण बाज़ार लगता है, जहां सिर्फ और सिर्फ रावण की प्रतिमाएं बिकती हैं. स्थानीय कलाकार अपने परिवारों के साथ मिलकर कई महीनों से इसकी तैयारी करते हैं. यहां 5 फुट से लेकर 50 फुट तक के रावण बनते हैं और एक ही दिन में लाखों के रावण की बिक्री होती है.
साल में सिर्फ आज ही के दिन बाजार लगता है. कलाकार तीन महीने लगातार तैयार करते हैं. रावण को बनाया और सजाया तो लगभग हर जगह ही जाता है लेकिन प्रदेश की राजधानी में लगने वाला से बाजार अपनी तरह का खास ही मार्केट है.
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बता दें कि दशहरा का पर्व शरद नवरात्र के 10वें दिन और दीपावली से ठीक 20 दिन पहले मनाया जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी या दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है. दशहरा का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन यह त्योहार आज भी बेहद प्रासंगिक है. यह पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है, जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया.