CG के इस जिले में स्मार्ट क्लासेस का लाभ लेंगे बच्चे, हाईटेक प्रोजेक्टर की मदद से होगी पढ़ाई
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CG के इस जिले में स्मार्ट क्लासेस का लाभ लेंगे बच्चे, हाईटेक प्रोजेक्टर की मदद से होगी पढ़ाई

कोरबा जिले में प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के शासकीय शिक्षण व्यवस्था को मैनुअल से डिजिटलाइज करने की कवायद शुरू हो चुकी है. शासन स्कूल शिक्षा विभाग की यह महत्वकांक्षी कार्ययोजना अब अपने अंतिम चरण पर है. 

सांकेतिक तस्वीर

नीलम पड़वार/कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के शासकीय शिक्षण व्यवस्था को मैनुअल से डिजिटलाइज करने की कवायद शुरू हो चुकी है. शासन स्कूल शिक्षा विभाग की यह महत्वकांक्षी कार्ययोजना अब अपने अंतिम चरण पर है. जिसके तहत जल्द ही शासकीय स्कूलों की दीवारों पर ब्लैकबोर्ड की जगह हाई टेक्नोलॉजी वाले स्मार्ट प्रोजेक्टर नजर आएंगे. 

पढ़ाई और सीखने का अनुभव स्कूली बच्चों के अनुरूप होगा. जहां अध्यापक के बजाए सवालों का हल खुद स्मार्ट प्रॉजेक्टर के माध्यम से होगा. पहले वीडियो क्लासेस के माध्यम से वीडियो और चित्रों की मदद से पढ़ाई कराई जाती थी. लेकिन स्मार्ट प्रोजेक्टर से अब ना सिर्फ पढ़ाई के लिए चलचित्र का इस्तेमाल होगा, बल्कि थ्री डी एनिमेशन और 360 डिग्री के फुटेज से पूरे अध्यापन कार्य को अधिक प्रभावी रूप दिया जा सकेगा.

बच्चों के मानसिक विकास के लिए फायदेमंद
इसका फायदा स्कूली बच्चो के मानसिक विकास पर नजर आएगा. बच्चों में इंटरनेट की समझ बढ़ेगी, वह सॉफ्टवेयर तकनीकों को ना सिर्फ समझ सकेंगे बल्कि परंपरागत उपायों से अलग अपने समय की बचत कर ज्यादा से ज्यादा एकुजेशनल एक्टिविटी में खुद को व्यस्त रख सकेंगे. इस तरह वे अपने घरेलू स्मार्टफोन का उपयोग दूसरी चीजों की बजाए सवालों को हल करने के सरलतम तरीके ढूंढने में करेंगे.

हाईटेक होगा प्रोजेक्टर
शिक्षा विभाग की मानें तो पहले का पारंपरिक प्रोजेक्टर सिर्फ वीडियो के लिए उपयोग में लाया जाता था. जो टूडी टेक्नोलॉजी पर आधारित होता था. फिलहाल जो स्मार्ट प्रोजेक्टर लगाया जा रहा है, वह काफी हाईटेक होगा. प्रोजेक्टर का फोकस किसी भी दीवार पर पड़ते ही वो दीवार बोर्ड काम करेगा. वीडियो के बीच में ही शिक्षक मार्कर मैजिक बोर्ड के जैसे ही फोकस एरिया में ड्रॉ कर छात्रों को उसे समझा सकते हैं. शिक्षक द्वारा की गई कवायद न केवल प्रदर्शित होगी बल्कि वो ऑटोमेटिक तरीके से वीडियो में सेव भी होती जाएगी. ताकि भविष्य में उसको दोबारा से देखा व समझा जा सकता है.

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गणित को समझने में होगी आसानी
अन्य विषयों से अलग गणित के सवालों का हल ऑटोमेटिक तरीके से होगा. जटिल गणितीय सूत्र किसी कैलकुलेटर की तरह प्रोजेक्टर में इंस्टाल होंगे. इस तरह शिक्षक को ना ही ब्लैक-ग्रीन बोर्ड की जरूरत होगी ना ही चॉक की. सिर्फ सवाल लिखते ही हल सामने होगा. जिसे कोई भी छात्र आसानी से अपने एंड्रॉयड फोन पर फिर से देख सकेगा. 360 अंश का वीडियो हो या इंटरनेट कनेक्शन, नए प्रोजेक्टर में सारी सुविधाएं होंगी.

नया प्रोजेक्टर सीधे हॉटस्पॉट या वाईफाई से कनेक्टेड होगा, बिना लैपटॉप के ही इंटरनेट पर मौजूद दुनिया के किसी भी वीडियो का ऑनलाइन इस्तेमाल संभव होगा. यह पूरी योजना ना सिर्फ पढ़ाई का बल्कि अध्यापन का अनुभव बदलने वाला होगा. बल्कि बोझिल लगने वाले अध्यन-अध्यापन कार्य को रोचक भी बनाएगा.

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जिले के 500 स्कूलों में स्मार्ट प्रोजेक्टर की उपलब्धता
कोरबा जिले के शिक्षा विभाग ने बताया कि स्मार्ट प्रोजेक्टर क्लासेस का यह प्रयोग ना सिर्फ जिले के लिए बल्कि समूचे प्रदेश के लिए बिल्कुल नया और आधुनिक होगा. जिले के करीब 500 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस का संचालन किया जाएगा. जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार प्रयास यह भी होगा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में पांच सौ जबकि इसके बाद दूसरे सभी स्कूलों में इस तरह से कक्षाएं संचालित कराई जा सकेगी. शिक्षकों के लिए भी इसका प्रशिक्षण काफी सरल होगा. बताया गया कि फिलहाल जिले के किसी निजी स्कूलों में भी यह सुविधा शुरू नहीं की जा सकी है.

कोल इंडिया के एसईसीएल का प्रयास हो रहा फलीभूत
एसईसीएल के अंतर्गत संचालित होने वाले स्कूलों में इस तरह के स्मार्ट प्रोजेक्टर को उपयोग में लाया गया था. जिले के शिक्षा विभाग ने भी इस पूरे माध्यम को समझा था. जिला कलेक्टर के माध्यम से जब इस पूरे माध्यम पर रुचि दिखाई गई थी तो एसईसीएल ने भी इस कवायद को आगे बढ़ाते हुए अपनी स्वीकृति दी थी. एसईसीएल के सेंट्रल मैनेजमेंट ने जब डेमो के माध्यम से जिला प्रशासन के सामने पूरे प्रोग्रामिंग को सामने रखा था, तब उन्होंने पहले चरण में कम से कम 500 प्रोजेक्टर के लिए अपनी स्वीकृति दी है जो ऊर्जाधानी पांच सौ स्कूलों में स्थापित किये जायेंगे.

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