Amit Shah Met Naxal Victims: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को देश की राजधानी दिल्ली में नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के पीड़ितों से मुलाकात की. इस दौरान करीब 70 पीड़ितों ने अपनी-अपनी व्यथा और चुनौतियों की कहानी साझा की. पीड़ितों से मिलने के बाद मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने की बात कही.
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Home Minister Amit Shah Met Naxal Victims: CM विष्णु देव साय की पहल एक बार फिर रंग लाई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सली हमलों में अपना सब कुछ गंवा चुके पीड़ितों से दिल्ली में मुलाकात की. यहां छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर से करीब 70 पीड़ित पहुंचे. केंद्रीय मंत्री शाह ने सब की व्यथा और चुनौतियों की दर्दनाक कहानी को सुना, जिसके बाद वह भावुक भी हुए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार दो साल के अंदर नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर शांति स्थापित करने के लिए संकल्पित है.
पीड़ितों ने सुनाई अपनी कहानी
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुए इस संवाद के दौरान नक्सली आतंक से बुरी तरह प्रभावित पीड़ितों ने अपने दर्दनाक अनुभवों को साझा किया. साथ ही सरकार से अधिक मदद और समर्थन की मांग की. बस्तर के पीड़ितों ने न केवल नक्सली हिंसा का सामना किया, बल्कि उन्होंने अपने गांवों में विकास की कमी और आधारभूत सुविधाओं की अनुपलब्धता में लंबे समय तक अपना जीवन बिताया.
छत्तीसगढ़ सरकार की सराहना
इस दौरान पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि बस्तर के विकास के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. हाल ही में शुरू की गई 'नियद नेल्ला नार योजना' ने प्रभावित क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास को एक नई दिशा दी है. इस योजना के जरिए बस्तर के दूरदराज़ के इलाकों में सड़क, पानी, बिजली, और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने का काम हो रहा है, जिससे लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है.
युवक ने खोया अपना पैर
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के अवलम मारा ने 22 फरवरी 2017 को माओवादी प्रेशर बम के विस्फोट में अपना बायां पैर गंवा दिया. अवलम जंगल में बांस काटने के लिए गए थे. जैसे ही अवलम ने बम पर पैर रखा, तेज धमाका हुआ और उनका पैर बुरी तरह प्रभावित हो गया. इस हादसे ने उसे जीवनभर के लिए उन्हें बैसाखी के सहारे जीने को मजबूर कर दिया. यह घटना माओवादियों की हिंसा का एक और दर्दनाक उदाहरण है, जिसने अवलम के जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. अब वह कठिन आर्थिक स्थितियों का सामना कर रहे हैं क्योंकि वह अपने परिवार के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत था.
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मासूम बच्ची ने खोई आंख
नारायणपुर जिले की 13 साल की धा सलाम 18 दिसंबर 2013 को माओवादी विस्फोट का शिकार हुई. राधा अपने चचेरे भाई के साथ खेलते हुए एक चमकदार वस्तु उठाने गई थी. असल में ये चमकती हुई कोई वस्तु नहीं बल्कि माओवादियों द्वारा लगाए गए बम का हिस्सा था. बम को उठाते ही धमाका हुआ, जिससे राधा ने अपनी एक आंख खो दी और उसके चेहरे पर गंभीर घाव हो गए. यह हादसा राधा और उसके परिवार के लिए बेहद कठिनाईपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि उसकी मां का पहले ही निधन हो चुका था. अब राधा के पिता को उसकी देखभाल करनी पड़ रही है. राधा की स्थिति देखकर स्थानीय प्रशासन ने उसे आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया है, लेकिन यह घटना अब भी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से झकझोर रही है.
महिला ने माओवादी धमाके में खोया पैर और सहारा
दंतेवाड़ा की भीमे मरकाम, जो अपने परिवार का पालन-पोषण पशुपालन से कर रही थीं. 9 नवंबर 2016 को वह माओवादी IED धमाके की शिकार हो गईं. इस हादसे में उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं. भीमे के लिए यह हादसा एक बहुत बड़ा झटका साबित हुआ, क्योंकि वह अपने परिवार के लिए मुख्य सहारा थीं. अब वह अपने जीवन और परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
यात्रियों पर माओवादी हमला
17 मई 2010 को माओवादियों ने एक यात्री बस पर हमला किया था. इस हमले में 15 ग्रामीणों की मौत हो गई, जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. सुकमा जिले के निवासी दुधी महादेव ने इस हमले में अपने दाहिने पैर गंवा दिए. अन्य घायल यात्रियों में ममता गोरला भी थीं, जिनके शरीर पर गहरे घाव आए. यह हमला माओवादियों की हिंसा की एक और क्रूर घटना थी, जिसमें मासूमों की जान चली गई.
शांति स्थापित करने के लिए सरकार संकल्पित
संवाद के दौरान पीड़ितों की कहानी सुन केंद्रीय गृह अमित शाह काफी भावुक हुए. उन्होंने कहा- नक्सलियों ने अपने फायदे के लिए अनेक लोगों के अधिकारों को तो छीना ही, साथ ही उनकी हिंसा, उनकी IED, उनकी गोलियों और बारूदों ने कई लोगों को मौत के घाट उतारा या जीवन भर के लिए दिव्यांग बना दिया. सुरक्षा बलों के द्वारा मारे गए उग्रवादियों के ह्यूमन राइट्स की बात करने वाले लोगों को बिना आंख, बिना हाथ, बिना पैर के जीवन जीने के लिए मजबूर इन लोगों के ह्यूमन राइट्स नजर नहीं आते. छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा से प्रताड़ित बहनों-भाइयों से संवाद कर अत्यंत भावुक हूं. मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूँ कि मोदी सरकार 2 साल के अन्दर नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर आपके क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए संकल्पित है.'
नक्सलियों ने अपने फायदे के लिए अनेक लोगों के अधिकारों को तो छीना ही, साथ ही उनकी हिंसा, उनकी IED, उनकी गोलियों और बारूदों ने कई लोगों को मौत के घाट उतारा या जीवन भर के लिए दिव्यांग बना दिया।
सुरक्षा बलों के द्वारा मारे गए उग्रवादियों के ह्यूमन राइट्स की बात करने वाले लोगों को… pic.twitter.com/r2VVahrGUK
— Amit Shah (@AmitShah) September 20, 2024
केंद्र सरकार और राज्य सरकार का नक्सल उन्मूलन पर संकल्प
बस्तर में नक्सली हमलों और धमाकों में दिव्यांग हुए लोगों ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर आपबीती सुनाई. गृह मंत्री ने नक्सल पीड़ितों की समस्याओं पर गंभीरता दिखाई. उन्होंने इन लोगों के संघर्ष और साहस की प्रशंसा की. साथ ही आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएगी.बता दें कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर बस्तर क्षेत्र के लगभग 70 नक्सल पीड़ित परिवार अमित शाह से मिले.
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