जो पायलट बन भरना चाहता था उड़ान वो अब कर रहा मोबाइल रिपेयरिंग, ये है वजह
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जो पायलट बन भरना चाहता था उड़ान वो अब कर रहा मोबाइल रिपेयरिंग, ये है वजह

रामकुमार के पिता शिक्षक पेशे से रिटायर हैं और उन्होंने उसकी पढ़ाई के लिए अपना घर और जमीन तक बेच दी है. अब उनके पास शिकागो भेजने के लिए पैसे नहीं बचे हैं. उसे अब शिकागो जाने के लिए उसे 60 हजार डॉलर यानी 44 लाख रुपये की जरूरत है. 

राजकुमार पटने

इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूल:बैतूल का वो युवा जिसने बचपन से ही आसमान में उड़ने का ख्वाब देखा था. अब उसका ये ख्वाब टूटने की कगार पर है. उसकी पढ़ाई में घर बिक गया, जमीन बिक गयी और बूढ़े रिटायर पिता कर्ज के बोझ तले दबे हैं. मजबूरी में इस होनहार युवा को मोबाइल रिपेयरिंग का काम करना पड़ रहा है. ये कहानी बैतूल के रामकुमार पटने की है, जो बीते दो साल से पायलट की ट्रेनिंग का आधा हिस्सा पूरा करने के लिए भटक रहा है. जिसका ख्वाब तो पायलट बनने का था, लेकिन वह हताश होकर एक मोबाइल रिपेयरिंग शॉप पर नौकरी कर रहा है.

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23 साल का रामकुमार पटने बचपन से पायलट बनना चाहता था. इसके लिए उसने दिन रात कर खूब पढ़ाई की. यहां तक की उसने मुंबई में स्काई लाईन एविएशन क्लब से पायलट बनने के लिए पार्ट वन की सारी थ्योरी पूरी कर ली. लेकिन जब पार्ट टू यानी प्रैक्टिकल फ्लाइंग की बारी आई, जो अमेरिका स्थित शिकागो में होगी, तो उसके पास इसके लिए पैसे नहीं हैं.

 

पिता बेच चुके घर और जमीन

रामकुमार बताते हैं कि उसके पिता रिटायर्ड शिक्षक हैं और उन्होंने उसकी पढ़ाई के लिए अपना घर और जमीन तक बेच दी है. अब उनके पास शिकागो भेजने के लिए पैसे नहीं बचे हैं. उसे अब शिकागो जाने के लिए उसे 60 हजार डॉलर यानी 44 लाख रुपये की जरूरत है.

राम ने बताया कि इस ट्रेनिंग के लिए उसे अमेरिका का वीजा मिल चुका है. भारतीय डीजीसीए उसका मेडिकल मंजूर कर चुका है. सारे दस्तावेज दो साल से तैयार हैं लेकिन वो तब से लगातार भटक रहा है.

MP सरकार से है ये अपील
राम के मुताबिक सरकार की तरफ से भी उसे कोई मदद नहीं मिली है. नेताओं के वादे सुन सुनकर वह थक चुका है लेकिन उसने हार नहीं मानी है. वह चाहता है कि एमपी सरकार गुजरात सरकार की तरह एजुकेशन लोन की व्यवस्था करे. जिसमें युवा के दस्तावेज जमा होते ही उसे 25 लाख का लोन मिल जाता है. जबकि प्रदेश में साढ़े चार लाख के ऊपर के लोन पर जमीन जायदाद गिरवी रखनी पड़ती है.

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