शिवराज से मिले शेखावत: खत्म होगा UP-MP का पानी विवाद? दूर होगी केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की बाधा
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शिवराज से मिले शेखावत: खत्म होगा UP-MP का पानी विवाद? दूर होगी केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की बाधा

सीएम शिवराज के साथ बैठक खत्म होने के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दोनों राज्य केंद्र सरकार की मदद से केन-बेतवा प्रोजेक्ट के अवरोध को जल्द ही खत्म करेंगे.

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की.

भोपालः उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के बीच केन-बेतवा नदी के  पानी के बंटवारे को लेकर शनिवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ बैठक हुई. इस दौरान प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और विभाग के अफसर भी मौजूद रहे. केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सीएम शिवराज की उपस्थिति में मध्य प्रदेश में जलशक्ति मंत्रालय  की अटल भू-जल योजना और जल जीवन मिशन योजना की समीक्षा की.

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सीएम शिवराज के साथ बैठक खत्म होने के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गंभीर-पार्वती-कोमू नदी लिंक परियोजनाएं शुरू की जाएंगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केन-बेतवा प्रोजेक्ट को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पहले ही चर्चा हो चुकी है. आज एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा हुई है. दोनों राज्य केंद्र सरकार की मदद से केन-बेतवा प्रोजेक्ट के अवरोध को जल्द ही खत्म करेंगे. पहले यह बैठक 11 जनवरी को होने वाली थी, लेकिन 2 दिन पहले ही हो गई. इसमें शामिल होने के लिए केंद्र के अफसर भी भोपाल पहुंचे.

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दोनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकारों के रहते राजनीतिक कारणों से विवाद को सुलझाने की पहल नहीं हुई. लेकिन वर्तमान में केंद्र के साथ दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं. केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दोनों राज्यों के बीच यह विवाद सुलझाने के लिए सिंतबर 2020 में केन्द्रीय प्राधिकरण का गठन किया था. दोनों राज्यों से कार्ययोजना मंगाई गई है, जिसके आधार पर विवाद सुलझाया जाना है.

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जानिए क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना?
राष्ट्रीय नदी विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा देश में प्रस्तावित 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में एक केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट भी है. इसकी अनुमानित लागत लगभग 45000 करोड़ है, जिसका 90 प्रतिशत केन्द्र सरकार वहन करेगी. इसमें मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र शामिल है. 

मध्य प्रदेश में छतरपुर व पन्ना जिलों के सीमा पर केन नदी पर मौजूदा गंगऊ बैराज के अपस्ट्रीम में 2.5 किमी की दूरी पर डोढ़न गांव के पास एक 73.2 मीटर ऊंचा ग्रेटर गंगऊ बांध प्रस्तावित है. कॉन्क्रीट की 212 किलोमीटर लंबी नहर द्वारा केन नदी का पानी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में बेतवा नदी पर स्थित बरुआ सागर में डाला जाना प्रस्तावित है. 

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इस प्रोजेक्ट में 2 बिजली परियोजनाएं भी शामिल हैं
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट में दो बिजली परियोजनाएं भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावाट होगी. संपर्क नहर के मार्ग में पड़ने वाले 6.45 लाख हेक्टेयर (1.55 लाख हेक्टेयर उत्तर प्रदेश में एवं 4.90 लाख हेक्टेयर मध्य प्रदेश में) जमीन की सिंचाई के लिए 31,960 लाख घन मीटर पानी इस्तेमाल होगा. इससे घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग के लिए 120 लाख घन मीटर पानी प्रदान किया जाएगा.

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साल 2008 में तैयार हुआ इस परियोजना का खाका
परियोजना का खाका 2008 में तैयार किया गया था. लेकिन कुछ मंजूरियों के कारण मामला अटका रहा. फिर वर्ष 2012 में इस परियोजना पर चर्चा शुरू हुई, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि परियोजना पर समयबद्ध तरीके से अमल किया जाए. वर्ष 2016 में कुछ पर्यावरणीय मंजूरियां प्राप्त होने के साथ ही मोदी सरकार ने केन.बेतवा लिंक परियोजना पर अमल करना शुरू किया. इस परियोजना के सन्दर्भ में एक अन्य मुख्य आपत्ति थी पन्ना टाइगर रिजर्व के 5500 हेक्टेयर से ज्यादा हिस्से का योजना क्षेत्र में आना. लेकिन नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने इस पर अपनी सशर्त सहमति दे दी है. 

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UP और MP के बीच पानी बंटवारे को लेकर विवाद 
वर्ष 2017 में फिर से परियोजना को लेकर चर्चा शुरू हुई. लेकिन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच पानी के बंटवारे को लेकर विवाद फंस गया. परियोजना की समझौता शर्त के मुताबिक उत्तर प्रदेश को रबी सीजन के लिए 700 एमसीएम पानी दिया जाना है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार 930 एमसीएम पानी की मांग कर रही है. मध्य प्रदेश की सरकार पहले तय  700 एमसीएम पानी देने पर ही सहमत है. लेकिन अब पानी बंटवारे के लिए केन्द्रीय प्राधिकरण के गठन से मामले का हल निकलने की संभावना बन गई है.

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