भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार शाम एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय जनता पार्टी के अंदर का एक बड़ा राज खोला. उन्होंने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कर्जमाफी के एलान के बाद बीजेपी में मची हलचल का खुलासा किया. आपको बता दें कि कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किसानों की कर्जमाफी का एलान किया था. 


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साल 2018 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के इस एलान से फंस गई थी भाजपा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष की इस घोषणा का जिक्र करते हुए कहा, ''राहुल गांधी की किसान कर्जामाफी पर बीजेपी ने बड़ी बैठक की थी. उन्होंने कहा था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ तो वह 11वें दिन मुख्यमंत्री बदल देंगे. हम लोगों ने बैठकर सोचा कि इसकी कोई काट सोचना होगी नहीं तो राजनीतिक नुकसान ज्यादा हो जाएगा.''


शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा, ''लेकिन पार्टी नेताओं की बैठक के बाद फैसला लिया गया कि किसानों की कर्जामाफी का एलान करना ठीक रास्ता नहीं है. किसानों का कल्याण करना है तो और बेहतर तरीके हैं. जो भी चुनाव परिणाम आए उस पर टिप्पणी नहीं कर रहा. जनकल्याण और राष्ट्रहित सर्वोपरि रखना है तो कड़े और बड़े फैसले लेने पड़ते हैं.''


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राम माधव की पुस्तक के विमोचन में बोल रहे थे शिवराज चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये बातें बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव की पुस्तक ''बिकॉज इंडिया कम्स फर्स्ट'' (Because Nation Comes First) के विमोचन में कार्यक्रम में कहीं. राम माधव ने अपनी इस पुस्तक का विमोचन सीएम शिवराज के हाथों कराया. विमोचन के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, ''आजादी के बाद से ही अधिकारों की बात होती रही, लेकिन दायत्वों की कोई बात नहीं करता. दायत्व निभाने का बोध कम ही लोगों में आया. नेशन फर्स्ट होना चाहिए. मेरी यह पुस्तक उसी पर आधारित है.''


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भाजपा को करना पड़ा था हार का सामना, सिंधिया की बगावत ने गिराई कमलनाथ सरकार
आपको बता दें कि राहुल गांधी के इस एलान में मध्य प्रदेश में चुनावी नतीजा पलट दिया था. शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने से चूक गए. कुल 230 सदस्यों की विधानसभा में कांग्रेस ने 114 सीटें जीतीं और भाजपा के खाते में 109 सीटें आईं, 7 अन्य जीते. कांग्रेस ने बसपा और निर्दलियों की मदद से 15 साल बाद मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की. कमलनाथ मुख्यमंत्री बने. लेकिन सिर्फ 15 महीने उनकी सरकार चल सकी.


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ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों की बगावत के कारण कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई और उन्हें 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 को चौथी बार एमपी के सीएम के तौर पर शपथ ली. नवंबर 2020 में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने 19 पर जीत दर्ज की और उसे विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल हो गया. कांग्रेस सिर्फ 9 सीटें जीत सकी. इस तरह अगले तीन वर्षों के लिए शिवराज सरकार सुरक्षित हो गई.


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