छत्तीसगढ़: दिव्यांग खिलाड़ियों के हौसलों के आगे पस्त हुईं शारीरिक कमियां, जूडो में दिखाए जौहर
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छत्तीसगढ़: दिव्यांग खिलाड़ियों के हौसलों के आगे पस्त हुईं शारीरिक कमियां, जूडो में दिखाए जौहर

मूक बधिर और दृष्टिबाधित युवाओं की जूडो प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने जमकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. जूडो खेल के कोर्ट पर इन्हें एक-दूसरे से भिड़ता देख कोई भी नहीं कह सकता कि ये देख, सुन या बोल नहीं सकते.

मूक बधिर और दृष्टिबाधित युवाओं की जूडो प्रतियोगिता (फोटो साभारः ANI)

नई दिल्ली: शारीरिक रूप से अपंगता या कमी कभी आड़े नहीं आती यदि इरादे पक्के हों और हौसला बुलंद हो. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव यही देखने को मिल रहा है. मूक बधिर और दृष्टिबाधित युवाओं की जूडो प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने जमकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. राजनांदगांव में चल रही राज्य स्तरीय इस प्रतियोगिता में राज्य के विभिन्न 13 जिलों से लगभग 200 से ज्यादा प्रतिभागी पहुंचे हैं. 

ना ही आंखों से कुछ दिखाई देता है, न ही कानों में कोई आवाज सुनाई पड़ती है. कुछ तो ऐसे भी हैं जो मूक हैं और बोल भी नहीं सकते लेकिन इनके हौसले गजब हैं. जूडो खेल के कोर्ट पर इन्हें एक-दूसरे से भिड़ता देख कोई भी नहीं कह सकता कि ये देख, सुन या बोल नहीं सकते. इन दिव्यांगो ने अपनी शारीरिक कमियों को दरकिनार कर ये साबित कर दिया है कि वे भी सामान्य लोगों से किसी भी तरह कम नहीं हैं.  

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राजनांदगांव मे चल रही राज्य स्तरीय ब्लाईंड जूडो और डेब जूडो एसोसियेशन के महा सचिव शेख शमीम ने बताया कि ब्लाईंड जूडो पैरा ओलम्पिक गेम है. ये अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल हैं और इसमें उनके संगठन द्वारा शारीरिक रूप से दिव्यांगो को विषेश रूप से ट्रेंनिग दी जाती है. छत्तीसगढ़ से कई दिव्यांगों ने इस खेल मे अपने जौहर दिखाए हैं. 

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खिलाड़ियों का कहना है कि सिर्फ छू कर सामने वाले को परख लेते हैं. मंजुला, पार्वती, सेतु और हरीराम की आंखों में रोशनी नहीं है लेकिन हौसले बुलंद हैं. हरीराम ब्लाईंड जूडो में राष्ट्रीय स्तर पर अपना दम दिखा चुके हैं. वहीं लड़कियां भी कम नहीं हैं और वे भी इस खेल मे आगे जाना चाहती हैं. 

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