नीमच के इस गांव में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं, 1 km के लिए 13 km का सफर तय करते हैं लोग
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नीमच के इस गांव में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं, 1 km के लिए 13 km का सफर तय करते हैं लोग

ग्रामीणों का कहना है कि वह इन समस्याओं के बारे में सचिव और सरपंच को काफी बार अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने आकर गांव वालों की सुध नहीं ली है.

नीमच के इस गांव में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं, 1 km के लिए 13 km का सफर तय करते हैं लोग

नीमचः मध्य प्रदेश के नीमच के मनासा तहसील के अंतर्गत आने वाला गांव मान्याखेड़ी में आजादी के सालों बाद भी विकास के नाम पर कुछ नहीं है. विकास सिर्फ कागजों में ही नजर आ रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है. यहां के ग्रामीणों ने सरपंच सचिव पर लापरवाही का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि वह इन समस्याओं के बारे में सचिव और सरपंच को काफी बार अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने आकर गांव वालों की सुध नहीं ली है. वहीं विधायक महोदय को भी बहुत सी बार जानकारी दी गई पर अभी तक पूरा गांव मूलभत सुविधाओं से वंचित है. 

वहीं इनकी पंचायत को तलाऊ में से हटाकर 13 किलोमीटर दूर ग्राम आमनखेड़ी में जोड़ दिया गया है, जिसके चलते अब 1 किलोमीटर की दूरी से 13 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ेगी. वही गांव मे जाने वाला मुख्य सड़क कीचड़ से भरा है, जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश है. गांव में आज भी ना नल है, ना रोड है और ना ही स्ट्रीट लाइट. जिसके चलते जहां एक तरफ रात के समय पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है तो वहीं ग्रामीणों को हेण्डपम्प से पानी पीना पड़ रहा है.

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मुख्य मार्ग को दोनों तरफ से दबंगो ने कब्जे में ले रखा है, जिस से पानी की निकासी नहीं होती और मुख्यमार्ग कीचड़ से भरा रहता है. श्मशान तक जाने के लिए लोगों को कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. ग्रामीणों की ओर से कई बार पंचायत और शासन सहित प्रशासनिक अधिकारियों से गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की जा चुकी है, लेकिन जिम्मेदार सुध लेना नहीं चाह रहे हैं. इसी का नतीजा है कि विकास कार्य की मांग लेकर अब ग्रामीण किसी के पास नहीं जाना चाहते.

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ग्रामीणों का कहना है कि क्योंकि उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होती इसलिए अब वह अपनी परेशानी लेकर किसी के पास नहीं जाएंगे. पंचायत प्रशासन की ओर से प्रस्ताव बनाने की बात कही जाती है, लेकिन यह सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई है. विकास की ओर किसी का ध्यान नहीं है.

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