टीकमगढ़: ओरछा के राम राजा सरकार मंदिर की पुरानी परंपरा टूटेगी
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टीकमगढ़: ओरछा के राम राजा सरकार मंदिर की पुरानी परंपरा टूटेगी

इस मंदिर में  राम भगवान के तौर पर नहीं, राजा के रूप में विराजे हैं. 

(फोटो साभार Ramrajatempleorchha.com)

टीकमगढ़: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित ओरछा को 'बुंदेलखंड की अयोध्या' कहा जाता है. यहां राम राजा का मंदिर है. मान्यता है कि यहां राम भगवान के तौर पर नहीं, राजा के रूप में विराजे हैं. मंदिर की स्थापना के बाद संभवत: पहली बार कपाट खुलने के समय में बदलाव करने का फैसला हुआ है. ओरछा में 14 अगस्त से होने वाले त्रिदिवसीय श्रावण तीज मेले की तैयारियों के संबंध में जिलाधिकारी अभिजीत अग्रवाल ने मंगलवार शाम को नगर के गणमान्य नागरिकों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की.

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, बैठक में जिलाधिकारी अग्रवाल ने रामराजा सरकार के दर्शन हेतु मंदिर के खुलने के समय को बढ़ाए जाने के लिए स्थानीय लोगों से सुझाव मांगा, जिस पर बैठक में उपस्थित लोगों ने अपनी सहमति प्रदान की. जिलाधिकारी ने बताया कि पूर्व निर्धारित समय में कोई परिवर्तन नहीं होगा, सिर्फ मन्दिर खुलने की समय सीमा को बढ़ाया जायेगा. मंदिर के कपाट जहां गर्मियों में शाम छह बजे तो सर्दियों में शाम पांच बजे खोले जाएंगे.

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मेले के दौरान रामराजा मन्दिर प्रांगण, मुख्य चौराहा, बेतवा नदी के किनारे, महलों के पास तथा मन्दिर के पीछे पुलिस की विशेष टुकड़ियां तैनात कीं जाएंगी. साथ ही मन्दिर प्रांगण में एक नियंत्रण कक्ष बनाया जाएगा, जहां से मेले की व्यवस्थाओं का संचालन किया जाएगा. प्राचीन परम्परा के अनुसार मेले में आने वाली भजन व कीर्तन मण्डलियों के लिये मन्दिर प्रांगण में व्यवस्था की जाएगी . 

श्रावण तीज मेले में होने वाली भीड़ को देखते हुये बेतवा नदी के किनारे प्रशासन द्वारा नदी के दोनों किनारो पर तैराक एवं गोताखोर तैनात किए जाएंगे, जिसकी व्यवस्था जिला सैनानी टीकमगढ़ करेंगे. मान्यता है कि ओरछा में सिर्फ रामराजा की ही सत्ता चलती है. ओरछा की चारदीवारी के अंदर न तो किसी राजनेता को सलामी दी जाती है और न ही कोई मंत्री अथवा अधिकारी अपनी गाड़ी की बत्ती जलाकर आता है. रामराजा को यहां चारों वक्त सशस्त्र बल द्वारा सलामी दी जाती है. स्थानीय लोग बताते है कि पंजाब में 'ब्ल्यू स्टार ऑपरेशन' से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यहां आई थीं तो उन्हें भी मंदिर के द्वार खुलने के लिए इंतजार करना पड़ा था. 

(इनपुट-भाषा)

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