दुनिया में राम के निशान: पेरू में राम वंशज, थाईलैंड में पादुकाओं का पूजन, इंडोनेशिया में रखे जाते हैं राम से जुड़े नाम
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दुनिया में राम के निशान: पेरू में राम वंशज, थाईलैंड में पादुकाओं का पूजन, इंडोनेशिया में रखे जाते हैं राम से जुड़े नाम

विश्व की सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या इंडोनेशिया में है, वहां पर भी रामायण का पाठ होता है. पीएम ने बताया कि कंबोडिया, श्रीलंका, चीन, ईरान, नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में राम का नाम लिया जाता है.

दुनिया के कई देशों में भगवान राम के मंदिर हैं, राम पूजे भी जाते हैं.

अयोध्या: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बताया कि कितने देशों में और किन-किन रूपों में भगवान राम मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं. भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं.

विश्व की सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या इंडोनेशिया में है, वहां पर भी रामायण का पाठ होता है. पीएम ने बताया कि कंबोडिया, श्रीलंका, चीन, ईरान, नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में राम का नाम लिया जाता है.' आइए जानते हैं कि दुनिया के किन देशों में भगवान राम पूजे जाते हैं, वहां की संस्कृति और परंपरा में किस तरह से जुड़े हैं. 

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अयोध्या में शिलापट का अनावरण करते हुए हुए यूपी के सीएम योगी, राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, पीएम मोदी, यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और संघ प्रमुख मोहन भागवत

पाकिस्तान में भी हैं राम के निशान 
तमाम कहानियों-कथाओं और ग्रंथों के अनुसार प्रभु श्रीराम का राज्य पूरे अखंड भारत में था, जिसमें उस वक्त भारत का हिस्सा रहा पाकिस्तान भी शामिल है. माना जाता है कि पाकिस्तान के लाहौर का ऐतिहासिक नाम लवपुरी था, जिसकी स्थापना प्रभु राम के पुत्र लव ने की थी. जानकारों की मानें तो ये नगरी उनकी राजधानी हुआ करती थी. बाद में इसका नाम लौहपुरी हुआ और फिर इसे लाहौर कहा जाने लगा. दावा किया जाता है कि लौहार के एक किले में लव का मंदिर भी है. प्रभु राम ने कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या सौंपा था, जबकि लव को पंजाब दिया था.

बर्मा में रामायण की तर्ज पर नाटक
बर्मा में और और रामायण कई रूपों में प्रचलित है. इन देशों में लोक गीतों के अतिरिक्त रामलीला की तरह के नाटक भी खेले जाते हैं. बर्मा में बहुत से नाम ‘राम’ के नाम पर हैं. बर्मा में रामवती नगर राम नाम पर स्थापित हुआ था. वहां के अमरपुर के एक विहार में सीता-राम, लक्ष्मण और हनुमान जी के चित्र आज तक अंकित हैं.

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ऑस्ट्रेलिया के द्वीप समूहों तक फैली है राम नाम की कीर्ति
जानकारों के मुताबाकि मेडागास्कर कहे जाने वाले द्वीप से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक के द्वीप समूहों पर रावण का राज था, लेकिन राम विजय के बाद यहां पर भगवान राम की कीर्ति फैल गई. राम के नाम के साथ रामकथा भी इस द्वीप समूह में फैली और वर्षों तक यहां के निवासियों के जीवन का प्रेरक अंग बनी रही.

मलेशिया में मुस्लिम भी जोड़ते हैं अपने नाम के साथ राम नाम
मलेशिया में हिंदू धर्म मानने वालों की संख्या काफी ज्यादा है. इस देश में रामकथा का प्रचार अभी तक है. वहां मुस्लिम भी अपने नाम के साथ अक्सर ‘राम-लक्ष्मण’ और ‘सीता’ का नाम जोड़ते हैं. यहां रामायण को ‘हिकायत सेरीराम’ कहते हैं.

थाईलैंड में राम पादुकाएं लेकर राज करने की परंपरा

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बटु केव, मलेशिया: यहां पर बटु भगवान का मंदिर है, जहां मलेशिया के लोग सबसे ज्यादा जाते हैं.

थाईलैंड के रजवाड़ों में भरत की भांति राम की पादुकाएं लेकर राज करने की परम्परा है. थाईलैंड वाली अपने को रामवंशी मानते थे. यहां अजुधिया, लवपुरी और जनकपुर जैसे नाम वाले शहर हैं. यहां पर राम कथा को रामकीरत कहते हैं और मंदिरों में जगह-जगह रामकथा के प्रसंग अंकित हैं. एक स्वतंत्र राज्य के रूप में थाईलैंड के अस्तित्व में आने के पहले ही इस क्षेत्र में रामायणीय संस्कृति विकसित हो गई थी. अधिकतर थाईवासी परंपरागत रूम से राम कथा से सुपरिचित थे.

कंबोडिया में रामायण का प्रचलन आज भी
कंबोडिया में हिंदू सभ्यता के अन्य अंगों के साथ-साथ रामायण का प्रचलन है. छठी शताब्दी के एक शिलालेख के अनुसार वहां के कई स्थानों पर रामायण-महाभारत का पाठ होता था. 

अच्छा इंसान बनने के लिए रामायण का पाठ
इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप का वाल्मीकि रामायण में स्वर्ण-भूमि नाम दिया गया है. रामायण यहां के जन-जीवन में वैसे ही बसी है, जैसे भारतवासियों के. इंडोनेशिया में बेहतर इंसान बनने के लिए मुसलमान भी रामायण पढ़ते हैं. रामायण वहां की स्कूली शिक्षा का हिस्सा है. इंडोनेशिया के लोगों पर आज भी रामायण का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है.

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मध्य जावा में स्थित प्रम्बनन मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा को समर्पित है.

इंडोनेशिया और मलेशिया पर रामायण की गहरी छाप है. हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान फादर कामिल बुल्के ने 1982 में अपने एक लेख में कहा था, '35 साल पहले मेरे एक मित्र ने जावा के किसी गांव में एक मुस्लिम शिक्षक को रामायण पढ़ते देखकर पूछा था कि आप रामायण क्यों पढ़़ते हैं? उत्तर मिला था, 'मैं और अच्छा मनुष्य बनने के लिए रामायण पढ़ता हूं.'

जावा में रामचंद्र राष्ट्रीय पुरुषोत्तम के तौर पर हैं सम्मानित
जावा में रामचंद्र राष्ट्रीय पुरुषोत्तम के रूप में सम्मानित हैं. वहां की सबसे बड़ी नदी का नाम सरयू है. रामायण के कई प्रसंगों के आधार पर उस देश में आज भी रात-रात भर कठपुतलियों का नाच होता है. जावा के मंदिरों में वाल्मीकि रामायण के श्लोक जगह-जगह अंकित मिलते हैं.

 

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इंडोनेशिया के बाली में समुद्र तट की एक बड़ी चट्टान पर स्थित यह मंदिर बाली के हिन्दुओं में काफी प्रसिद्ध है.

बाली में लोग मानते हैं हिंदू धर्म, पूजते हैं राम को
बाली द्वीप भी थाईलैंड, जावा और सुमात्रा की तरह आर्य संस्कृति का एक दूरस्थ सीमा स्तम्भ है. रामायण का प्रचार यहां भी घर-घर में है. बाली का हिन्दू धर्म से आशय हिन्दू धर्म के उस रूप से है जिसे बाली के बहुसंख्यक लोग मानते और धारण करते हैं. हिन्दू धर्म का यह रूप विशेषतः बाली द्वीपों के निवासियों से सम्बंधित है. यहां के लोग भगवान राम को पूजते हैं.

इन देशों के अतिरिक्त फिलीपाइन्स, चीन, जापान और प्राचीन अमरीका तक राम-कथा का प्रभाव मिलता है. मैक्सिको और मध्य अमरीका की ‘मय’ सभ्यता और ‘इंका’ सभ्यता पर प्राचीन भारतीय संस्कृति की जो छाप मिलती है, उसमें रामायणकालीन संस्कारों का प्राचुर्य है. पेरू में राजा स्वयं को सूर्यवंशी ही नहीं ‘कौशल्यासुत राम वंशज’ भी मानते हैं. रामसीतव नाम से आज भी यहां राम-सीता उत्सव मनाया जाता है.

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