मौत के बाद भी अंतिम संस्कार करने नहीं पहुंचे. ऐसे में परायों ने बेटों और परिजनों का फर्ज निभाया.
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कनिराम यादव/आगर: कहते हैं औलाद के बिना मां बाप का जीवन अधूरा है माता पिता अपने बच्चों का साथ कभी नहीं छोड़ते लेकिन अगर औलाद ही अगर माता पिता का साथ छोड़ दे तो उनका जीवन नर्क के समान बन जाता है. ऐसा ही मामला सामने आया है आगर से जहां जीते जी तो साथ न मिला पर मरने के बाद भी अपनो ने नहीं अपनाया.
जी हां हम बात कर रहे हैं ऐसी बुजुर्ग महिला की जिसके बच्चों ने उसे पहले वृद्धा आश्रम पहुंचाया. हमेशा के लिए अकेले छोड़ दिया. हद तो तब हो गई जब मौत के बाद भी अंतिम संस्कार करने नहीं पहुंचे. ऐसे में परायों ने बेटों और परिजनों का फर्ज निभाया. मामला आगर मालवा जिले से है.
समाजसेवियों ने करवाया अंतिम संस्कार
आगर मालवा जिले में मौजूद एकमात्र अपना घर वृद्धाश्रम में बीमारी से वहां रह रही वृद्धा की मौत हो गई. जिसकी सूचना वृद्धाश्रम प्रबंधन ने उसके परिजनों को दी. सुचना के बाद परिजनों ने महिला के अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया तो समाजसेवियों की मदद से वृद्धाश्रम प्रबंधन ने पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार कराया.
परिवार ने अंतिम संस्कार करने से मना किया
आगर मालवा जिले के अपना घर वृद्धाश्रम में करीब 4 सालों से रह रही बुजुर्ग महिला की बीमारी के बाद मौत हो गई. करीब 15 दिनों तक जिला अस्पताल में बुजुर्ग महिला का इलाज कराया जा रहा था. जिसकी सूचना वृद्धाश्रम के प्रबंधन ने उसकी तीन बेटियों और भतीजे को दी थी. सूचना के बावजूद भतीजे ने अंतिम संस्कार करने से साफ मना कर दिया.
मिलकर दी मुखाग्नि
वृद्धाश्रम की बुजुर्ग की मौत की सूचना लगने पर नगर के समाजसेवी सुधीर जैन आगे आए और वृद्धाश्रम प्रबंधक कनीराम यादव और वहां रह रहे बुजुर्गों के साथ मिलकर अंतिम संस्कार की समस्त रस्मो को निभाते हुए दाह संस्कार किया.
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