तकनीकी खामियों की भेंट चढ़ा महिला थाना, उद्घाटन के 15 दिन बाद भी नहीं दर्ज हुई एक भी FIR
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तकनीकी खामियों की भेंट चढ़ा महिला थाना, उद्घाटन के 15 दिन बाद भी नहीं दर्ज हुई एक भी FIR

भिंड में एक जुलाई को मंत्री अरविंद भदौरिया ने महिला थाने का उद्घाटन किया था. महिला थाना शुरू हुए आधा महीना बीत चुका है लेकिन तकनीकी खामियों के चलते अभी तक एफआईआर दर्ज होना शुरू नहीं हुआ है.

तकनीकी खामियों की भेंट चढ़ रहा महिला थाना

प्रदीप शर्मा/ भिंड: मध्य प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने पूरे मध्यप्रदेश में एक जुलाई को 42 ज़िलों में महिला थाने शुरू किए गए है. जिससे कि महिला अपराध से जुड़े मामलों पर त्वरित कार्रवाई के लिए पीड़ित महिलाओं को पुरुष प्रधान थानों के बार-बार चक्कर ना लगाने पड़े और क़ानूनी कार्रवाई के लिए सीधा अपनी शिकायत महिला थाने में ही कर सके. लेकिन अभी तक ज़्यादातर थानों मैं एफआईआर प्रणाली शुरू नहीं हुई है.

क्यों शुरू करना पड़े महिला थाने
मध्यप्रदेश में महिला अपराधों में कमी लाने और त्वरित कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से पिछले दिनों मध्यप्रदेश में एक साथ 42 ज़िलों में नए महिला थानों की शुरुआत की गई जिससे महिला अपराध से जुड़े मामले सीधे पीड़ित द्वारा दर्ज कराई जा सकें. और उन्हें अलग अलग थानों के चक्कर ना लगाना पड़े. महिला थानों का का एक उद्देश्य यह भी है कि यहां सिर्फ़ महिला अपराधों के ही मामलों की विवेचना की जाए. जिससे अन्य थानों पर विभिन्न मामलों को निपटान की प्राथमिकता रहे. लेकिन देखने में आ रहा है कि उद्घाटन के बाद भी क़रीब 15 दिन हो चुके है लेकिन भिंड समेत ज़्यादातर महिला थानों में अब तक एफ़आईआर दर्ज होना शुरू नही हो पायी है.

FIR प्रणाली शुरू न होने के क्या कारण
अन्य ज़िलों के साथ ही भिंड में भी महिला थाने का शुभारम्भ इस एक जुलाई को प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने किया लेकिन लगभग 14 दिन बीत जाने के बाद भी एक भी एफ़आईआर इस नए थाने में दर्ज नही हो सकी है.
 इस सम्बंध में महिला थाने की नव नियुक्त थाना प्रभारी रत्ना जैन से बात की तो उन्होंने बताया की कोई भी नया थाना खुलने से व्यवस्थाएं सुचारु होने में थोड़ा समय लग जाता है. भिंड में भी एफआईआर ना हो पाने के पीछे तकनीकी कारण है.

सभी डेटा ऑनलाइन दर्ज
मध्यप्रदेश में पुलिस कार्रवाई का सभी डेटा ऑनलाइन दर्ज होता है. यहां तक कि एफ़आईआर भी अब ऑनलाइन सॉफ़्टवेयर के माध्यम से ही दर्ज होती है. इसे क्राइम कंट्रोल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम "सीसीटीएनएस"(CCTNS) कहा जाता है जिसकी पूरी देखरेख भोपाल कंट्रोल सेंटर से ही होती है. अब तक नए थाने में इसकी कॉनेटिविटी नहीं हो पायी है, जिसकी वजह से अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो पा रही है.

अभी कौन सा है विकल्प
किसी भी थाने में एफआईआर ना हो पाना उसके उद्देश्य को अधूरा बनाता है. कोई भी अपराध से जुड़ा मामला हो पीड़ित इसकी शिकायत के लिए पुलिस के पास पहुंचते हैं और उसकी प्रथम सूचना देते है जिसके आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई और जांच करती है.
भिंड में खुले नए महिला थाने में भी महिला अपराध से जुड़े मामले पहुंच रहे हैं लेकिन एफआईआर ना हो पाने की दशा में उन्हें कुछ मुश्किलें भी आती हैं. हालांकि थाना प्रभारी रत्ना जैन ने बताया कि ऐसे मामलों में पीड़ितों की परेशानी को देखते हुए कार्रवाई के लिए हम पीड़ित से आवेदन लेते है जिसके बाद सम्बंधित थाने को एफआईआर के लिए सूचित करते हैं और पीड़िता परेशान ना हो इसके लिए उसे पुलिस वाहन के ज़रिए ही सम्बंधित थाना तक पहुंचा कर उसकी एफ़आईआर दर्ज करवाई जाती है.

महिला शिकायतों का औसत
औसतन महिलाओं से जुडी 5-6 शिकायते हर रोज़ महिला थाने में पहुंचती है जिनमें ज़्यादातर मामले घरेलू हिंसा के होते हैं. पिछले 12 दिनो में महिला थाने पर क़रीब 60 आवेदन आए हैं जिनमे 70 फ़ीसदी मामले घरेलू हिंसा से जुड़े थे. थाना प्रभारी रत्ना जैन ने बताया की ज़्यादातर मामलों का निपटारा थाना स्तर पर ही दोनों पक्षों को थाने पर बुलाकर काउन्सिलिंग के ज़रिए कर दिया जाता है. अन्य अपराधों में आवेदन के साथ ही कार्रवाई प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है.

एफआईआर(FIR) दर्ज होने की कब से है उम्मीद
प्रथम सूचना यानी एफ़आईआर की समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी यह कहना है भिंड महिला थाना प्रभारी रत्ना जैन का इस पर काम शुरू हो चुका है लगभग सभी थानों में कॉनेटिविटी इशू को दूर करने की प्रक्रिया जारी है. सीसीटीएनएस से कनेक्टिविटी होते ही महिला अपराध से जुड़े मामले महिला थाना में दर्ज होना शुरू हो जाएंगे. अभी भी लगातार आवेदन के ज़रिए कार्रवाई की जा रही है.
एक जुलाई से महिला थाना शुरू हुआ है और इसका कामकाज भी शुरू हो चुका है लेकिन एफ़आईआर के अलावा पुलिस बल की कमी एक बड़ी समस्या है. भिंड ज़िले को 27वे थाने के रूप में महिला थाना तो मिल गया लेकिन अब तक स्टाफ़ के नाम पर सिर्फ़ 5-7 महिला पुलिसकर्मीयो का बल है. पुलिसबल भी भोपाल से ही आवंटित होगा. ऐसे में जब तक महिला थाने को पर्याप्त बल नहीं मिलता तब तक किसी बड़ी कार्रवाई के लिए भी इंतज़ार करना पड़ेगा.
हालांकि ये भी माना जा रहा है कि व्यवस्थाएं दुरुस्त होने के साथ ही ज़िले वासियों को महिला थाने का लाभ मिलेगा और महिला अपराधों के विरूद्ध कार्रवाइयों में भी तेज़ी आएगी.

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