भारत में कृषि के बाद MSME (सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) सेक्टर में ही सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है. साथ ही देश के निर्यात में भी यह सेक्टर बहुत अहम रोल निभाता है.
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नई दिल्लीः कोरोना महामारी के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है. भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं है. अब जब आगामी 1 फरवरी को सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करने जा रही है तो इससे बड़ी उम्मीदें लगायी जा रही हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वह ऐसा बजट करें, जो अब तक कभी पेश नहीं किया गया हो. इसके लिए वित्त मंत्री को कुछ सेक्टर्स पर खास ध्यान देना होगा.
MSME सेक्टर
भारत में कृषि के बाद MSME (सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) सेक्टर में ही सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है. साथ ही देश के निर्यात में भी यह सेक्टर बहुत अहम रोल निभाता है. लेकिन कोरोना महामारी का असर जिन सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा पड़ा है उनमें एमएसएमई प्रमुख है. यही वजह है कि एमएसएमई सेक्टर को आगामी बजट से बहुत उम्मीदे होंगी. सरकार के सामने चुनौती होगी कि एमएसएमई सेक्टर में तकनीक, टैक्स पॉलिसी को उद्योग के मुताबिक बनाने और डिजिटल इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया जाए.
एमएसएमई सेक्टर से जुड़े लोगों का मानना है कि सरकार को टेक सेंटर्स बनाकर वहां लोगों के स्किल्स बेहतर करने, जीएसटी की दर में कटौती करने की कोशिश करनी चाहिए. साथ ही एमएसएमई सेक्टर के लिए लोन की सीमा को भी बढ़ाया जाना चाहिए.
कृषि क्षेत्र
सरकार को भारतीय कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाने की दिशा में काम करना चाहिए. इसके लिए सरकार विभिन्न देशों के साथ समझौते करे. जैसे भारत और यूएई फूड कॉरिडोर के तहत एमपी में यूएई की फंडिंग से 8 फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगायी जाएंगी. अनुमान है कि इस फूड कॉरिडोर से करीब 20 लाख किसानों को फायदा मिलेगा और 2 लाख के करीब अतिरिक्त नौकरियां पैदा होंगी.
स्वास्थ्य क्षेत्र
कोरोना महामारी ने सरकार को एहसास कराया है कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े निवेश की जरुरत है. अभी भारत में हर 10 हजार लोगों के हिस्से में अस्पताल के पांच बेड, 8.6 डॉक्टर आते हैं. जिसके साथ देश मानव विकास इंडेक्स में 155वें नंबर पर आता है. देश में हेल्थकेयर सेक्टर में जीडीपी का 3.6 फीसदी ही खर्च किया जाता है, जो कि अन्य विकासशील देशों के मुकाबले कम है. साथ ही देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में काफी अंतर है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस सेक्टर में निवेश बढ़ाने की दिशा में काम करेगी.
व्यापार घाटे ने बढ़ायी चिंता
देश का बढ़ता व्यापार घाटा अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चिंता का विषय है. ऐसे में सरकार को निर्यात में बढ़ोत्तरी और आयात में कमी करने की दिशा में कदम उठाने की जरुरत है. द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए सरकार को विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने चाहिए. हालांकि इसमें भारत के हितों को सर्वोपरि रखा जाए. साथ ही हमें विदेशी बाजारों तक अपनी पहुंच को बढ़ाना चाहिए.
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