DMF Committee Controversy: डीएमएफ में अध्यक्ष को लेकर केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार आमने-सामने, जानिए मामला
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DMF Committee Controversy: डीएमएफ में अध्यक्ष को लेकर केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार आमने-सामने, जानिए मामला

जिला खनिज न्यास निधि यानी डीएमएस पर केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन ने प्रदेश में एक बार फिर सियासत गरमा दी है. 

फाइल फोटो

रायपुर: जिला खनिज न्यास निधि यानी डीएमएस पर केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन ने प्रदेश में एक बार फिर सियासत गरमा दी है. केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक अब डीएमएफ कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे. सांसद बतौर सदस्य समिति में शामिल रहेंगे. 

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बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले के फैसले को बदलते हुए प्रभारी मंत्रियों को डीएमएफ समिति का अध्यक्ष बनाया था. विधायकों को समिति में बतौर सदस्य शामिल किया गया था. जबकि कलेक्टर समिति के सचिव बनाए गए थे. अब केंद्र सरकार के फैसले को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक बार फिर आमने-सामने हैं. राज्य सरकार इसे जनप्रतिनिधियों के अपमान से जोड़कर देख रही है. वहीं विपक्ष डीएमएफ के पैसे के दुरुपयोग का आरोप लगा रहा है.

डीएमएफ के नियमों के अनदेखी हो रही 
इस मामले में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार में डीएमएफ के राशि का लगातार दुरुपयोग हो रहा था. राज्य सरकार लगातार डीएमएफ के नियमों की अनदेखी कर रही थी. डीएमएफ की राशि को मंत्रियों और विधायकों ने अपनी पॉकेट मनी की राशि मान ली थी. इस वजह से केंद्र सरकार ने नियमों में संशोधन किया है. इससे डीएमएफ में होने वाले भ्रष्टाचार और दुरुपयोग में कमी आएगी. 

कांग्रेस के बाद डीएमएफ के दुरुपयोग को रोका
दूसरी ओर राज्य सरकार के प्रवक्ता और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के शासनकाल में तो अधिकारियों के घर में डीएमएफ के पैसे से स्विमिंग पूल बन जाते थे. कांग्रेस सरकार बनने के बाद डीएमएफ के दुरुपयोग को रोका गया. इसे शिक्षा और स्वास्थ्य समेत जनहित के कामों के लिए खर्च किया जा रहा है. बेहतर ढंग से काम काज हो सके इसलिए प्रभारी मंत्रियों को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. केंद्र सरकार की गाइडलाइन उचित नहीं है. इसका अध्ययन किया जा रहा है. इस बात का भी अध्ययन किया जा रहा है कि किस रूप में इसे लागू किया जा सकता है और किस रूप में लागू नहीं हो पाएगा.

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नई गाइडलाइन जल्द जारी होगी
कलेक्टरों को अध्यक्ष बनाने के सवाल पर रविंद्र चौबे ने कहा कि अगर हर काम प्रशासनिक अफसरों के मत्थे छोड़ना है, तो लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का क्या काम? राज्य सरकार जल्द ही नई गाइडलाइन पर अध्ययन के बाद इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करेगी.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन लागू होने के बाद प्रभारी मंत्री डीएमएफ की समिति के अध्यक्ष नहीं रह पाएंगे. वहीं विधायकों को भी समिति में जगह मिल पाएगी. इस पर संदेह की स्थिति है. कलेक्टर समिति के अध्यक्ष होंगे. जबकि सांसदों को इस के सदस्य बनाए जाएंगे. यही वजह है कि राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर आने वाले दिनों में डीएमएफ को लेकर टकराव की स्थिति देखने मिल सकती हैं.

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