देश के 40 करोड़ से ज्यादा लोग गैर संगठित अर्थव्यवस्था का हिस्सा है. गैर संगठित अर्थव्यवस्था में वो लोग आते हैं, जिनकी स्थायी नौकरी नहीं है और जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं.
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नई दिल्लीः कोरोना महामारी ने देश के मध्यम वर्ग को बड़ा झटका दिया है. वहीं निम्न आय वर्ग से करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं. बीते सालों में विभिन्न सरकारों ने अपनी योजनाओं और नीतियों से कोरोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया था, वो अब इस महामारी के चलते फिर से गरीब हो गए हैं. महामारी का असर सबसे ज्यादा देश के गरीबों पर ही हुआ है.
दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के हवाले से दैनिक भास्कर ने अपनी एक खबर में बताया है कि पिछले साल लगे लॉकडाउन के असर से अप्रवासी दिहाड़ी मजदूर उबरने की कोशिश कर ही रहे थे कि कोरोना की दूसरी लहर ने उनकी कमर ही तोड़ दी है. इन मजदूरों की घरेलू बचत खत्म हो गई है और आमदनी में भी गिरावट से हालात बेहद खराब हैं.
गैर संगठित अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका
देश के 40 करोड़ से ज्यादा लोग गैर संगठित अर्थव्यवस्था का हिस्सा है. गैर संगठित अर्थव्यवस्था में वो लोग आते हैं, जिनकी स्थायी नौकरी नहीं है और जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. इन 40 करोड़ लोगों को कोरोना से बड़ा झटका लगा है. देश की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर, उसे इसी बात से समझा जा सकता है कि यह हमारी कुल अर्थव्यवस्था का आधा हिस्सा है. कोरोना के चलते काम धंधे बंद होने से करोड़ों दिहाड़ी मजदूर गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं.
रेटिंग एजेंसीज ने घटाई भारत की विकास दर
पिछले साल लॉकडाउन के बाद देश की अर्थव्यवस्था ने तेजी पकड़ी थी. जिसके बाद विभिन्न रेटिंग एजेंसीज ने भारत की विकास दर दोहरे अंकों में होने की बात कही थी. लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को फिर से झटका दिया है, जिसके चलते रेटिंग एजेंसीज ने फिर से भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर को घटाकर 9 फीसदी के आसपास बताया है.