इस साल 23 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी. सनातन धर्म में इस तिथि को गंगा स्नान व दान बेहद शुभ होता है.हमें दान जरूर करना चाहिए. आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. तभी से गुरुओं के पूजन की परंपरा चली आ रही है.
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नई दिल्ली: गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. माना जाता है कि हर व्यक्ति को अपने गुरू की पूजा करनी चाहिए. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 23 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी. सनातन धर्म में इस तिथि को गंगा स्नान व दान बेहद शुभ होता है.हमें दान जरूर करना चाहिए. आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. तभी से गुरुओं के पूजन की परंपरा चली आ रही है.
क्या है शुभ मुहूर्त
गुरू पूर्णिमा शुक्रवार 23 जुलाई 2021 को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई शनिवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी.
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पूजा करने की विधि
-गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले स्नान कर लें
-इसके बाद अपने गुरू की पूजा की तैयारी करें
-अपने गुरू को फूल-माला, तांबूल, श्रीफल, रोली-मोली, जनेउ, सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा और पंचवस्त्र चढ़ाएं
-उसके बाद अपने गुरु के चरणों को धुलकर उसकी पूजा करें
-उन्हें अपने सामथ्र्य के अनुसार फल-फूल, मेवा, मिष्ठान और धन आदि देकर सम्मानित करें
बन रहे यह शुभ योग
इस साल गुरु पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग बन रहा है. सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक प्रीति योग बन रहा है जो 25 जुलाई की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. इसके बाद आयुष्मान योग लग जाएगा. यह दोनों ही योग एक साथ बनना शुभ माना जाता है. प्रीति और आयुष्मान योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है. विष्कुंभ योग को वैदिक ज्योतिष में शुभ योगों में नहीं गिना जाता है.
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